जगदलपुर। बस्तर में विकास के दावों की हकीकत एक बार फिर उजागर हुई है. जगदलपुर के चितालगुर पंचायत के FRA दर्जा प्राप्त गांव गुड़ियापदर से एक मार्मिक वीडियो सामने आया है, जिसमें एक गर्भवती महिला को ग्रामीण देर रात खाट पर लादकर जंगल के बीच से 4.5 कि.मी. पैदल चलकर मुख्य सड़क तक पहुंचाया. कारण- गांव तक आज भी सड़क, वाहन या एंबुलेंस की सुविधा नहीं पहुंच पाई है.


जानकारी के अनुसार, यह घटना 10 और 11 अक्टूबर की मध्यरात्रि की बताई जा रही है. महिला पांच महीने की गर्भवती थी, जिसे घर पर ही मिसकैरेज हो गया. तबीयत बिगड़ने पर परिजनों ने नदी-नाले और जंगल पार करते हुए उसे खाट पर रखकर चितालगुर तक पहुंचाया, जहां से एंबुलेंस बुलाकर उसे जगदलपुर मेडिकल कॉलेज (डिमरापाल) में भर्ती कराया गया. फिलहाल महिला की हालत गंभीर बताई जा रही है और उसे चार यूनिट ब्लड चढ़ाया गया है.

गुड़ियापदर गांव कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान की सीमा पर स्थित है और इसे एफआरए का दर्जा प्राप्त है. यहां तक पहुंचने के लिए पेंगारास ग्राम से कच्चे रास्ते से होकर आना पड़ता है. गांव में न आंगनबाड़ी केंद्र, न सड़क, न बिजली की सुविधा है. केवल क्रेडा द्वारा लगाई गई सोलर प्लेट्स से कुछ घरों में रोशनी होती है.
स्वास्थ्य विभाग की सेवाएं चितालगुर पंचायत तक ही सीमित हैं, जिसके कारण गुड़ियापदर की गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य जांच या इलाज के लिए कई किलोमीटर पैदल चलना पड़ता है. गांव में करीब 35 परिवार निवास करते हैं, जो आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं.
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