रोहतास। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में सीट बंटवारे के बाद जेडीयू के अंदर असंतोष खुलकर सामने आने लगा है। रोहतास जिले के दिनारा विधानसभा सीट से जेडीयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री जय कुमार सिंह ने अपना इस्तीफा दे दिया है। पहले से ही उनके टिकट कटने की खबर से पार्टी में खलबली मच गई थी। उनके समर्थकों ने साफ तौर पर कहा था कि यदि जय कुमार सिंह को फिर से टिकट नहीं दिया गया, तो रोहतास की पूरी जेडीयू यूनिट सामूहिक इस्तीफा दे देगी। यह स्थिति जेडीयू के लिए चुनाव से पहले एक बड़ी मुश्किल खड़ी कर सकती है। जय कुमार सिंह लंबे समय से जेडीयू से जुड़े हुए हैं। उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार में सहकारिता और उद्योग मंत्रालय जैसे अहम विभाग संभाले हैं। वह दिनारा विधानसभा सीट से विधायक भी रह चुके हैं और जिले में उनकी पकड़ मजबूत मानी जाती है। ऐसे में पार्टी द्वारा उनका टिकट काटना कार्यकर्ताओं को नागवार गुजर रहा है।
अपनी रणनीति बदल रही है जेडीयू
सूत्रों के मुताबिक जेडीयू इस बार चुनाव में एंटी-इनकम्बेंसी (जनता की नाराजगी) को देखते हुए अपनी रणनीति बदल रही है। पार्टी ने तय किया है कि जिन नेताओं को पिछले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था, उन्हें इस बार टिकट नहीं दिया जाएगा। इसी रणनीति के तहत जय कुमार सिंह को भी बाहर किया गया है। इसके साथ ही एनडीए में सीट शेयरिंग के तहत दिनारा सीट को बीजेपी या उसके किसी सहयोगी दल को देने की चर्चा है। ऐसी स्थिति में जेडीयू को मजबूरन अपने पुराने उम्मीदवार को हटाना पड़ा। लेकिन इसका असर स्थानीय कार्यकर्ताओं पर पड़ा है जो इस फैसले से बेहद नाराज हैं।
पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता
जय कुमार सिंह के समर्थकों का कहना है कि उन्होंने सालों तक पार्टी की सेवा की है और जनता के बीच उनकी पकड़ बहुत मजबूत है। ऐसे नेता को नजरअंदाज करना न सिर्फ अन्याय है बल्कि इससे पार्टी को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर टिकट बहाल नहीं हुआ तो वे जेडीयू से सामूहिक इस्तीफा देंगे। पार्टी के वरिष्ठ नेता स्थिति को संभालने की कोशिश में जुटे हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि अगर रोहतास जैसी मजबूत यूनिट पार्टी से नाराज़ होकर अलग होती है तो जेडीयू की चुनावी तैयारियों को बड़ा झटका लग सकता है।
चुनावी परिणामों पर पड़ेगा असर
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक रोहतास जिला और खासकर शाहाबाद क्षेत्र पहले से ही एनडीए के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। अब यदि अंदरूनी कलह और टिकट बंटवारे को लेकर असहमति गहराई, तो इसका सीधा असर वोट बैंक और चुनावी परिणामों पर पड़ेगा। जय कुमार सिंह का टिकट कटना केवल एक नेता की नाराजगी नहीं, बल्कि यह पार्टी के अंदर उभरते असंतोष और टिकट वितरण की रणनीति पर गंभीर सवाल खड़े करता है। जेडीयू नेतृत्व को अब जल्दी और ठोस फैसला लेना होगा, ताकि चुनाव से पहले पार्टी में एकजुटता बनी रहे और मतदाताओं के बीच भरोसा कायम रहे।
अब देखना यह होगा कि क्या जेडीयू अपने पुराने सिपाही को मनाने में सफल होती है या यह बगावत उसे भारी पड़ती है।
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