देहरादून. चौखुटिया में एम्बुलेंस नहीं मिलने पर 16 साल की बेटी की गोद में पिता की मौत हो गई. जिसको लेकर उत्तराखंड कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने धामी सरकार पर करारा हमला बोला है. करन माहरा ने एक्स पर पोस्ट कर कहा, चौखुटिया की उस 16 साल की दीक्षा ने अपने पिता पूरन राम को गोद में मरते देखा, क्योंकि वहां एक एम्बुलेंस तक नहीं थी. अख़बारों में ये ख़बर दो पैराग्राफ़ में सिमट गई, लेकिन उस बच्ची के सीने में जो तूफ़ान मचा होगा, वो किसी अख़बार की हेडलाइन में नहीं समा सकता. सवाल सिर्फ ये नहीं कि एक इंसान की मौत हुई, बल्कि सवाल ये भी है कि सरकार की संवेदनाएं कब मर गईं? धामी जी, आपने 1001 करोड़ में अपनी तस्वीर तो साफ़ कर ली, लेकिन प्रदेश की तस्वीर पहले से भी ज़्यादा धुंधली कर दी. शर्म आनी चाहिए इस दिखावे पर, इस संवेदनहीन सत्ता पर.

इसे भी पढ़ें- ‘भाजपा और चुनाव आयोग मिलकर वोट चोरी कर रहे…’, यशपाल आर्य ने BJP सरकार पर साधा निशाना, कहा- जनता के साथ कर रही विश्वासघात

आगे करन माहरा ने कहा, राज्य बनने के 25 साल बीत गए, लेकिन उत्तराखंड का दर्द वहीं खड़ा है बिना एम्बुलेंस, बिना डॉक्टर, बिना सिस्टम के. और उधर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी 1001 करोड़ रुपये विज्ञापनों में बहा रहे हैं, सिर्फ अपनी इमेज चमकाने के लिए. सड़कों पर पोस्टर, अख़बारों में फुल-पेज इश्तेहार, टीवी पर प्रचार. मानो जनता की तकलीफ़ नहीं, बल्कि मुख्यमंत्री की तस्वीरें ही “विकास” बन गई हों. सवाल ये है कि क्या उन 1001 करोड़ रुपये से हर गांव को एक एम्बुलेंस नहीं दी जा सकती थी? क्या उन पैसों से किसी बेटी के आंसू नहीं पोंछे जा सकते थे?

इसे भी पढ़ें- हरिद्वार में अपहरण और मेरठ में सौदा… पुलिस ने अंतरराज्यीय बच्चा चोर गिरोह का किया भंडाफोड़, तीन आरोपी अरेस्ट

आगे उन्होंने कहा, ये वही उत्तराखंड है, जिसे “देवभूमि” कहा जाता है लेकिन अब यहां इंसान को मरने के लिए भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है. एक ओर धामी सरकार “बेटी बचाओ” के नारे देती है, और दूसरी ओर बेटियां अपने पिता को मरते हुए गोद में उठाए बैठी हैं.