लुधियाना. केंद्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पंजाब के लुधियाना का दौरा किया और बाढ़ प्रभावित परिवारों के लिए महत्वपूर्ण राहत राशि प्रदान की। उन्होंने पंजाब के 36,703 प्रभावित घरों के लिए प्रति घर 1.60 लाख रुपये की सहायता राशि पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड्डियां को सौंपी। इस अवसर पर केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और केंद्रीय रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू भी मौजूद थे।

बाढ़ प्रभावितों के लिए राहत

मानसून सीजन के दौरान पंजाब में आई बाढ़ के बाद यह केंद्रीय कृषि मंत्री का दूसरा दौरा था। उन्होंने बताया कि बाढ़ से 36,703 घरों को नुकसान हुआ हैं, जिनके लिए प्रति घर 1.60 लाख रुपये की सहायता दी गई है। इसके अतिरिक्त, मजदूरी और शौचालय निर्माण के लिए 40,000 रुपये अलग से प्रदान किए जा रहे है। चौहान ने भाजपा कार्यकर्ताओं से यह सुनिश्चित करने को कहा कि राहत राशि का उपयोग घरों के निर्माण के लिए हो रहा हैं। पंजाब सरकार ने सोमवार रात को क्षतिग्रस्त घरों की सूची भेजी थी, जिसके आधार पर उसी रात फंड जारी कर दिए गए।

कृषि के लिए अतिरिक्त सहायता

शिवराज सिंह चौहान ने बताया कि गेहूं के बीजों के लिए 74 करोड़ रुपये और सरसों के बीजों के लिए 3.40 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। बाढ़ से किसानों के बागों को हुए नुकसान के लिए भी मुआवजा दिया जाएगा। पंजाब सरकार को नुकसान की रिपोर्ट तैयार करने को कहा गया है, और केंद्र सरकार किसानों को मिट्टी हटाने के लिए भी फंड प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि सभी संबंधित मंत्रालय अपने-अपने विभागों के तहत सहायता राशि प्रदान करेंगे।

आईसीएआर मक्का अनुसंधान केंद्र का दौरा

लुधियाना के लाडोवाल में चौहान ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के मक्का अनुसंधान केंद्र का दौरा किया। उन्होंने वहां अधिकारियों के साथ बैठक की, संस्थान के कार्यों का मूल्यांकन किया और नई इमारत का उद्घाटन किया। उद्घाटन से पहले, वेद मंत्रों का जाप कर उन्होंने सभी का ध्यान आकर्षित किया। इस दौरान केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री भागीरथ चौधरी और रेल राज्य मंत्री रवनीत बिट्टू भी उनके साथ थे।

पंजाब के लिए भावुक संदेश

शिवराज सिंह चौहान ने कहा, “मैं पंजाब की इस धरती को बार-बार नमन करता हूं। यह वह भूमि है, जहां जब भी देश पर दुश्मनों ने हमला किया, पंजाब ने सबसे पहले उसका सामना किया। देश की सीमाओं की रक्षा ‘जय जवान’ ने की, लेकिन ‘जय किसान’ की भूमिका हमेशा पंजाब ने निभाई। एक समय था जब लोग अमेरिकी पीएल 480 गेहूं खाते थे, क्योंकि देश में पर्याप्त फसल नहीं होती थी और इसे आयात करना पड़ता था। आज पंजाब ने देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाया है।”