पुरुषोत्तम पात्र, गरियाबंद। किडनी की बीमारी से लगातार हो रही मौतों की वजह से सुर्खियों में बने सुपेबेड़ा में जांच के लिए राजधानी रायपुर से एम्स के डॉक्टर्स की टीम तो पहुंच गई, लेकिन ग्रामीण घर की दहलीज तक पार नहीं कर रहे. हैरान-परेशान डॉक्टर्स घर-घर जाकर शिविर में ग्रामीणों के नहीं आने की पीछे की वजह पूछ रहे हैं.

एम्स के डायरेक्टर नेफ्रो के 5 एक्सपर्ट को लेकर शनिवार को सुबह 11 बजे सुपेबेड़ा पहुंच गए थे, लेकिन आधा दिन निकलने के बाद भी विशेष स्वास्थ्य शिविर में जांच के लिए 5 ग्रामीण भी नहीं पहुंचे हैं. उम्मीद की जा रही थी कि शिविर में जांच कराने के लिए ग्रामीण उत्साह के साथ आएंगे, लेकिन उसके ठीक उलट ग्रामीणों में एक तरह से उदासीनता नजर आ रही है.

 

बता दें कि 2 अक्टूबर को स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पहुंचकर जांच-पड़ताल के अलावा मरीजों की देखरेख का जिम्मा एम्स के हवाले करने का एलान किया था. इस पर शनिवार को एम्स के डायरेक्टर नितिन नागरकर, नेफ्रोलॉजीस्ट डॉ. विनय राठौड़, डॉ. जय पटेल, डॉ. अभिरुचि, डॉ. कमलेश जैन के साथ 15 से ज्यादा लोगों की टीम 11 बजे से सुपेबेड़ा पहुंची. लेकिन शिविर में दोपहर तक गिने-चुने ग्रामीणों ने ही अपनी आमद दी थी.

 

बता दें कि सुपेबेड़ा में 200 से ज्यादा ग्रामीण किडनी रोग से ग्रसित हैं, लेकिन दोपहर तक गिनती के ही ग्रामीण शिविर में जांच के लिए पहुंचे थे.

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