राजधानी दिल्ली में इस बार दिवाली के बाद आसमान से कृत्रिम बारिश(Artificial rain) की बौछारें बरसने की तैयारी है. वो भी इंसान के बनाए बादलों से। पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा(Manjindar Singh Sirsa) ने बताया कि क्लाउड सीडिंग तकनीक के जरिए कृत्रिम बारिश कराने की योजना तैयार कर ली गई है। अब बस मौसम विभाग की हरी झंडी और अनुकूल मौसम का इंतजार है। सिरसा ने कहा कि अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ, तो दिवाली के अगले ही दिन कृत्रिम बारिश कराई जा सकती है। इस पहल का उद्देश्य प्रदूषण के स्तर को कम करना और त्योहार के बाद बढ़ने वाले स्मॉग से राहत दिलाना है।

मेरठ में तैनात एक खास सेना 206H विमान, जो आईआईटी कानपुर की देखरेख में ऑपरेट होगा। यह विमान बादलों में सिल्वर आयोडाइड जैसे कण छिड़ककर बारिश कराएगा।दो अनुभवी पायलट जिनके पास दस साल से ज्यादा का उड़ान अनुभव है, अब तक चार सफल ट्रायल उड़ानें पूरी कर चुके हैं। अब उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में पहली कृत्रिम बारिश का इंतजार है, जो दिवाली के अगले दिन या जल्द ही हो सकती है।

सरकार का मानना है कि यह प्रयोग दिवाली के बाद बढ़ने वाले प्रदूषण और स्मॉग को कम करने में मदद करेगा। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह सफल रहा तो यह भारत की पहली बड़े पैमाने की शहरी क्लाउड सीडिंग परियोजना बन सकती है।

क्या है क्लाउड सीडिंग?

क्लाउड सीडिंग एक ऐसी तकनीक है, जो बादलों को बारिश के लिए तैयार करती है। इसमें हवा में मौजूद नमी वाले बादलों में खास रासायनिक कण (जैसे सिल्वर आयोडाइड, नमक या ड्राई आइस) छोड़े जाते हैं, जो बर्फ या पानी की बूंदें बनने की प्रक्रिया को तेज करते हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, 500 से 6,000 मीटर ऊंचाई वाले निंबोस्ट्रेटस (Nimbostratus) बादल, जिनमें 50% से अधिक नमी होती है, इस प्रक्रिया के लिए सबसे उपयुक्त माने जाते हैं।

पांच ट्रायल, पर्यावरण की सुरक्षा

दिल्ली सरकार ने उत्तर-पश्चिमी दिल्ली में पांच ट्रायल करने की योजना बनाई है, ताकि अलग-अलग मौसम परिस्थितियों में इस तकनीक की सफलता को परखा जा सके। बारिश के बाद पानी के नमूनों की जांच भी की जाएगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि पर्यावरण या जल गुणवत्ता पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।

कब से चल रही तैयारी?

3.21 करोड़ रुपये के इस प्रोजेक्ट को मई 2025 में मंज़ूरी मिली थी। इसके बाद सितंबर में आईआईटी कानपुर के साथ करार हुआ और नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने 1 अक्टूबर से 30 नवंबर तक ट्रायल की अनुमति दी। हालांकि, मॉनसून और फिर अक्टूबर की बेमौसम बारिश के चलते योजना कुछ समय के लिए टालनी पड़ी थी। अब सरकार दिवाली के बाद इसे शुरू करने की तैयारी में है।

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