प्रतीक चौहान. रायपुर. दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे जोन (SECR) के आईजी मुन्नवर खुर्शीद ने रायपुर रेल मंडल के एक इंस्पेक्टर को एडहॉक में एसआईबी इंस्पेक्टर (SIB Inspector) के रूप में पदस्थ किया. आईजी ने इस भरोसे से नियुक्ति दी कि वे गोपनीय रूप से रायपुर रेल मंडल के तमाम इंस्पेक्टर और आरपीएफ स्टॉफ पर अपनी गोपनीय नजर रखे. लेकिन विभागीय सूत्रों का आरोप है कि साहब को विभाग द्वारा अलॉट गाड़ी में रौब दिखाने में व्यस्त हैं.


नियमों के मुताबिक एसआईबी इंस्पेक्टर बिना वर्दी में रहते है और अपनी पहचान उजागर किए बिना काम करते है. लेकिन रायपुर रेल मंडल के आरपीएफ एसआईबी इंस्पेक्टर ने विभाग के सारे नियमों को ठेंगा दिखाते हुए अपनी गाड़ी में लाल-निली बत्ती लगाकर रखी है.
अब सवाल ये है कि न तो उनकी गाड़ी थानों की गाड़ियों की तरह पेट्रोलिंग करती है और न चोर के पीछे भागने के लिए उन्हें सायरन बजाकर चोरों को पकड़ती है, अब ये आरपीएफ के लिए जांच का विषय है कि फिर ऐसी क्या जरूरत आ पड़ी कि उन्हें अपनी गाड़ी में लाल-निली बत्ती लगानी पड़ी ?
सूत्र बताते है कि साहब पर बिलासपुर के कुछ उच्च अधिकारियों का विशेष स्नेह है, जब भी उन्हें अपने परिजनों के लिए कोई विशेष ‘प्रोटोकॉल’ की जरूरत पड़ती है वे एसआईबी इंस्पेक्टर से पूरा करवा लेते है. एयरपोर्ट में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच में ये भी स्पष्ट होगा कि आए दिन प्रोटोकॉल के लिए उनका वहां जाना-आना लगा होता है. कई बार वहां साहब वर्दी में भी देखे गए हैं.
यहां तक किराये कि गाड़ी में करीब एक महीने से वे बिना ड्राइवर के उक्त लाल-निली बत्ती को ड्राईव कर रहे है, चूंकि उच्च अधिकारियों का स्नेह है, इसलिए RPF के सूत्र बताते है कि इस मामले में न तो कोई जांच होगी और न कोई कार्रवाई.
एक पीड़ित ने ये भी बताया कि पिछले दिनों एक एसआईबी एसआई के सामने पॉकिटमार ने चोरी कर ली और विभाग ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की, यही यदि कोई और होता तो बिलासपुर में बैठे अफसर न केवल उनके वेतन में कटौती करते बल्कि सस्पेंशन भी निश्चित रूप से करते.
आरपीएफ के लिए जांच का विषय ये भी है कि यदि बिना ड्राईवर के ये गाड़ी चलाई जा रही है तो कही ये वित्तीय अनिमितता तो नहीं ? रेलवे किराये की गाड़ी के साथ ड्राईवर का वेतन भी देता है.