रायपुर। छत्तीसगढ़ के इतिहास में पहली बार शुक्रवार को 210 नक्सलियों ने एक साथ सरेंडर किया, यह खबर प्रदेश और देश में सुर्खियां बटोरी है। बड़ी संख्या में नक्सलियों के आत्मसमर्पण पर पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने संतोष जताते हुए कहा कि देश की यह लड़ाई जल्द खात्मे की ओर बढ़ेगी। हम सब मिलकर जीतेंगे। सरकार और सुरक्षा बलों को बधाई। वहीं बघेल के इस बयान पर मंत्री केदार कश्यप ने कसा है। उन्होंने तारीफ के लिए भूपेश बघेल का शुक्रियाअदा किया और कहा कि बस यह स्पष्ट कर देते कि आपकी यह निजी राय है या कांग्रेस का यह अधिकृत बयान है?

मंत्री केदार कश्यप का बयान

मंत्री केदार कश्यप ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि तारीफ के लिए शुक्रिया भूपेश बघेल जी। बस यह स्पष्ट कर देते कि आपकी यह निजी राय है या कांग्रेस का यह अधिकृत बयान है? आपकी पार्टी के प्रवक्ता कल ही इसे एक ‘इवेंट’ मात्र कह रहे थे, फिर आपकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष असली-नकली नक्सली का प्रश्न पैदा कर हमेशा की तरह इस लड़ाई को कमजोर करने में अपनी भूमिका निभा रहे थे।

वस्तुतः भारत की ऐसी सभी समस्याओं की जड़ में कांग्रेस की यह कुनीति रही है कि – चोर से कहो चोरी कर, गृहस्वामी से कहो जागते रह। यह खतरनाक स्थिति है। जिस झीरम का आप जिक्र कर रहे हैं, उसी दरभा घाटी मामले में राहुल गांधी बिलासपुर में नक्सलियों को क्लीन चिट देकर गए थे, आपकी अपनी ही पार्टी के नेता, झीरम हमले में बलिदान हुए महेंद्र कर्मा जी का भी अगर आप सबने साथ दे दिया होता, उनकी खिल्ली नहीं उड़ाये होते, उनके ‘सलवा जुडूम’ का विरोध नहीं किया होता, तो शायद यह लड़ाई इतनी लंबी नहीं होती और न ही सुरक्षा बलों का, बस्तर में बहन-भाइयों का, राजनीतिक कार्यकर्ताओं का इतना बलिदान होता।

जनजाति विरोधी और नक्सल समर्थक हरकत कांग्रेस की हाल में भी उजागर हुई थी, जब सलवा जुडूम विरोधी पूर्व जज को आपकी पार्टी ने उप राष्ट्रपति पद का प्रत्याशी बना दिया था।

देश की आंतरिक सुरक्षा से जुड़े विषयों पर इस तरह सस्ती, हल्की और दोहरी राजनीति करने से कृपया बाज आइए। इससे किसी का भी भला नहीं होने वाला, कांग्रेस का भी नहीं। दोतरफा बयानबाजी कर जनता को इस तरह मूर्ख नहीं बनाया जा सकता। वह सब जानती है। खुले मन से बस्तर में इस नए युग का स्वागत कीजिए बिना अगर-मगर किए। सबक भी लीजिये कि देश की आंतरिक और वाह्य सुरक्षा के विषय पर गंदी राजनीति नहीं करेंगे।

भूपेश बघेल का बयान

भूपेश बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ ने नक्सलवाद के कारण दशकों तक दंश झेला है। हमने बड़ी संख्या में जवानों, आदिवासियों और कांग्रेस पार्टी ने तो अपने शीर्ष नेतृत्व को खोया है। प्रदेश में डेढ़ दशक रही भाजपा की सरकार माओवाद के विरुद्ध लड़ाई को लेकर इच्छाशून्य रही थी, इसका बयान तो सुरक्षा सलाहकार केपीएस गिल साहब ने ही किया था।

बघेल ने कहा कि 2018 में हमारी सरकार आने के बाद पहली बार नक्सल उन्मूलन नीति बनाई गई. बड़ी संख्या में कैंप खोले गए। सड़कें बनी, स्कूल की घंटियां गूंजीं और हमने नक्सलियों की मांद में घुसकर उन्हें चुनौती दी। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इस लड़ाई में सहयोग रहा और हमने इसे देश की साझा चुनौती के तौर पर लिया। मुझे आज खुशी है कि केंद्रीय गृहमंत्री के साथ प्रदेश सरकार पहले की तरह हमारी “विश्वास-विकास-सुरक्षा” की नीति को सूत्र बनाकर आगे बढ़ी है।