यत्नेश सेन, देपालपुर(इंदौर) देपालपुर मध्यप्रदेश का एक ऐसा स्थान है जहाँ से पूरे देश के कोने कोने में झाड़ू पहुचती है। क्या आपको पता है जिस झाड़ू की धनतेरस ओर दीपावली पर विशेष पूजा की जाती है, जो झाड़ू अपने घरों दफ्तरों या किसी भी स्थान को साफ करने के काम आती है आखिर वो बनती कहा और कैसे है। आखिर उस झाड़ू को बनाने में कितना समय लगता है? देपालपुर का एक ऐसा इलाका, जहां करीब 50 परिवार साल के पूरे 12 माह केवल झाड़ू बनाने का काम ही करते हैं। यहां की यह गली झाड़ू वाली गली के नाम से भी जानी जाती है। यहां महिला पुरुष बच्चे सब इस हुनर में निपुण है।
पूरे साल होता है झाडू बनाने का कार्य
धनतेरस और दीपावली पर पूरे देश में सबसे ज्यादा झाड़ू बिक्री होती है क्योंकि सफाई के साथ-साथ झाड़ू को सनातन धर्म में लक्ष्मी के रूप में भी माना जाता है। यही कारण है कि धनतेरस और दीपावली पर झाड़ू का पूजन भी होता है। वहीं पूरे देश में देपालपुर एक ऐसा स्थान है, जहां से झाडू बनकर देश के अलग-अलग हिस्सों में बिकने के लिए पहुंचती है। यहां के करीब 50 परिवार ऐसे हैं जो मुख्य रूप से केवल पूरे साल झाड़ू बनाने का काम ही करते हैं। खजूर के पेड़ों की शाखों से खजूर की डालियों को निकाला जाता है और फिर उनसे अलग-अलग प्रकार की झाड़ूए बनाई जाती है जो की पूरे देश में प्रसिद्ध है।
पीढ़ियों से चला आ रहा यह काम
झाड़ू बनाने वाले यह परिवार बताते हैं कि पीढ़ी दर पीढ़ी इस काम को करते आए हैं जमाना बदल साल बदले लेकिन उनका काम आज भी वैसा ही है। हालांकि समय बदलने और आधुनिकता आने से कुछ बदलाव जरूर आए मशीन और नई तकनीकी आई लेकिन देपालपुर में आज भी हाथों से झाड़ू में बनाई जाती है जोकी पूरे देश भर में आपनी अलग ही पहचान रखती है। यहां यह झाड़ू बनाने वाले लोग दूर दूर तक झाड़ू बनाकर सप्लाई तो करते ही है साथ ही काउंटर ओर ठेले लगाकर खेरची तरीके से बेचते भी है।
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