JNU Clash: जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी यानी जेएनयू एक बार फिर हिंसा और आरोपों के घेरे में है। 15 अक्टूबर को JNU के School of Social Sciences में जनरल बॉडी मीटिंग हुई। इस दौरान लेफ्ट और ABVP छात्रों में मारपीट हो गई। इस झड़प में कई छात्र घायल हुए हैं, जिनमें महिला छात्राएं भी शामिल हैं। कार्रवाई करने पहुंची पुलिस की छात्रों से भी तीखी झड़प हुई। 70-80 छात्रों ने बैरिकेड्स तोड़े और पुलिसकर्मियों से हाथापाई की, जिससे नेल्सन मंडेला मार्ग पर यातायात बाधित हुआ। इस घटना के बाद, छात्र संघ अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित 29 छात्रों को हिरासत में लिया गया। झड़प में छह पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं।

एसएफआई और AISA जो लेफ्ट से जुड़े संगठन है का आरोप है कि ABVP के सदस्यों ने मीटिंग को हिंसक बनाया। जबकि ABVP का कहना है कि झगड़ा वामपंथी काउंसलर की आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद शुरू हुआ। जिसने उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्रों को लेकर अपमानजनक बातें कहीं थी। छात्रों के दोनों गुट एक दूसरे पर हिंसा के आरोप लगाया है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार शनिवार शाम 70-80 छात्र जेएनयू के पश्चिमी द्वार पर जमा हो गए। नेल्सन मंडेला मार्ग की ओर उनकी आवाजाही रोकने के लिए पुलिस बैरिकेड्स लगा दिए गए थे। पुलिस का कहना है कि बार-बार अनुरोध के बावजूद, छात्रों ने बलपूर्वक बैरिकेड्स तोड़ दिए, पुलिसकर्मियों के साथ हाथापाई की, अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया और नेल्सन मंडेला मार्ग पर आ गए, जिससे यातायात अस्थायी रूप से बाधित हो गया। उसके बाद अध्यक्ष नितेश कुमार, उपाध्यक्ष मनीषा और महासचिव मुंतिया फातिमा समेत 29 छात्रों को हिरासत में लिया गया। छह पुलिसकर्मी घायल हुए हैं।

जेएनयूएसयू अध्यक्ष का आरोप-मुझे पीटा, मेरे कपड़े फाड़ दिए

जेएनयूएसयू अध्यक्ष नितीश कुमार ने कहा, “…जब जेएनयूएसयू चुनावों को लेकर जीबीएम (जनरल बॉडी मीटिंग) शुरू हुई, तो काउंसलर रजत को एबीवीपी के गुंडों ने पीटा। हमने यह सुनिश्चित करने के लिए विरोध किया कि चीजें शांतिपूर्वक चलें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और हमने सुबह 6 बजे बैठक स्थगित कर दी। हम बाहर निकले, एबीवीपी के गुंडों ने हमें 2 घंटे तक बंधक बनाए रखा और हम पर जातिवादी गालियां दीं…हमने दिल्ली पुलिस को फोन किया। एसएचओ बलबीर सिंह वहां पहुंचे, लेकिन उन्होंने कोई हस्तक्षेप नहीं किया। हमें पीटा गया. मुझे भी पीटा गया, मेरा कुर्ता फाड़ दिया गया. हमने विरोध किया और किसी तरह बाहर निकले। हमने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई. इसलिए, हम एफआईआर की मांग को लेकर वसंत कुंज थाने की ओर मार्च कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने बैरिकेड्स लगा दिए और हमें रोक दिया।

एबीवीपी ने वामपंथी संगठन पर लगाया आरोप

एबीवीपी ने इस हिंसा को लेकर वामपंथी गुटों पर तीखा हमला किया है. एबीवीपी छात्र संगठन की ओर से जारी बयान में कहा कि गया है कि जेएनयू के स्कूल ऑफ सोशल साइंसेज़ में जनरल बॉडी मीटिंग थी, जिसमें वामपंथी गुट से जुड़े एक काउंसलर ने अत्यंत भेदभावपूर्ण टिप्पणी की। आरोप है कि काउंसलर ने बैठक में कहा कि उत्तर प्रदेश और बिहार के छात्र तथा एबीवीपी से जुड़े लोग जेएनयू में आने के योग्य नहीं हैं, इन्हें ऑडिटोरियम और इस कैंपस से बाहर निकाल फेंक देना चाहिए। इस बयान के बाद जीबीएम का माहौल तनावपूर्ण हो गया।

दशहरा से चल रहा है टकराव

यह टकराव दशहरा के दौरान हुई एक घटना से शुरू हुआ था, जब वामपंथी और दक्षिणपंथी छात्र समूहों के बीच परिसर में झड़प हुई थी। “जय भीम, लाल सलाम” समूह ने शनिवार को मार्च का नेतृत्व किया था, लेकिन पुलिस ने उन्हें हिरासत में ले लिया, जब वे थाने पहुंचने की कोशिश कर रहे थे।

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