हेमंत शर्मा,रायपुर। राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस के अवसर पर माना चौथी बटालियन में कार्यक्रम का आयोजन  किया गया. इस कार्यक्रम में प्रदेश की राज्यपाल अनुसुइया उइके, गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू, विधायक सत्यनारायण शर्मा उपस्थित हैं. साथ ही शहीदों के परिवार के लोग भी कार्यक्रम में मौजूद है. राज्यपाल ने परेड की सलामी ली है. इस अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर राज्यपाल और गृहमंत्री ने शहीदों को श्रद्धांजलि दी.

राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि इस अवसर पर वीर शहीदों को नमन करती हूं आज के दिन शाहिद जवानों को याद करते है जिन्होंने भारत की रक्षा के लिए लड़ते लड़ते वीरगति को प्राप्त हुए. समाज में कानून व्यवस्था शांति बनाए रखने के लिए पुलिस के जवान जिम्मेदारियां लेते हैं. सभी नागरिक शांतिपूर्ण त्यौहार मनाते हैं. लेकिन उस समय जवान अपने परिजनों से दूर रहकर अपनी ड्यूटी पर तैनात रहते हैं. यह गौरव का विषय है कि छत्तीसगढ़ पुलिस के जवानों ने विपरीत परिस्थितियों में भी विरोधियों का सामना बहादुरी से किया है. चाहे उसके लिए उन्हें अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी हो.नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में तैनात जवान सूझबूझ और साहस के साथ नक्सलियों का सामना करते हैं.हमेशा हम उनके ऋणी रहेंगे.उनकी बदौलत ही अमन चैन रहता हैं. प्रदेश के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में विकास की रोशनी वहां तक पहुंच सके और लोग प्रदेश की मुख्यधारा में जुड़े इसके लिए कार्य किए जा रहे हैं. संचार के साधनों को मजबूत किया जा रहा है.युवाओं को जोड़ने के लिए सरकार द्वारा हर संभव प्रयास किया जा रहा है. छत्तीसगढ़ के शहीदों को श्रद्धा सुमन अर्पित करती हूं और उन्हें प्रणाम करती हूं.

डीजीपी डीएम अवस्थी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है. जिन्होंने देश रक्षा में अपने प्राण कुर्बान किए हैं उनको याद करते हैं. हमारे छत्तीसगढ़ में बहुत बड़ा भू भाग नक्सल प्रभावित है. हमारे सुरक्षा बलों ने उनसे लड़ते हुए 19 वर्षों में अपनी शहादत दी है. छत्तीसगढ़ पुलिस न केवल कानून व्यवस्था के लिए बल्कि नक्सलवाद से लड़ने के लिए और कुछ वर्षों में माओवाद के प्रति हिंसा को पुलिस ने सभी के सहयोग से रोका है.

बता दें कि राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस हर साल 21 अक्टूबर को मनाया जाता है. पुलिस स्मरण दिवस के महत्व के बारे में सीआरपीएफ की बहादुरी का एक किस्सा है, गौरतलब है कि आज से 55 साल पहले 21 अक्टूबर 1959 में लद्दाख में तीसरी बटालियन की एक कम्पनी को भारत – तिब्बत सीमा की सुरक्षा के लिए लद्दाख में ‘हाट-स्प्रिंग‘ में तैनात किया गया था. कम्पनी को टुकड़ियों में बांटकर चौकसी करने को कहा गया. जब बल के 21 जवानों का गश्ती दल ‘हाट-स्प्रिंग‘ में गश्त कर रहा था. तभी चीनी फौज के एक बहुत बड़े दस्ते ने इस गश्ती टुकड़ी पर घात लगाकर आक्रमण कर दिया. तब बल के मात्र 21 जवानों ने चीनी आक्रमणकारियों का डटकर मुकाबला किया. मातृभूमि की रक्षा के लिए लड़ते हुए 10 शूरवीर जवानों ने अपने प्राणों का बलिदान दिया. उन्हीं जवानों की याद में राष्ट्रीय पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है.