दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने एक निजी स्कूल द्वारा बढ़ाई गई फीस की वसूली पर फिलहाल रोक लगा दी है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली दो जजों की डिवीजन बेंच ने सिंगल जज के आदेश पर रोक लगाते हुए यह निर्देश दिया है कि स्कूल के 17 छात्रों के अभिभावकों को अब केवल 60 प्रतिशत फीस जमा करानी होगी। कोर्ट ने कहा कि फीस विवाद को लेकर अंतिम निर्णय आने तक स्कूल प्रबंधन छात्रों पर किसी प्रकार का दबाव नहीं बनाएगा। साथ ही, अभिभावकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि निर्धारित 60 प्रतिशत राशि समय पर स्कूल में जमा की जाए।

यह आदेश मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने दिया। बेंच ने यह निर्देश अभिभावकों की ओर से दायर याचिका पर विचार करते हुए जारी किया। अदालत ने कहा कि अभिभावक वर्तमान फीस की 60 फीसदी रकम दो किस्तों में जमा कराएं। पहली 30 प्रतिशत राशि 30 नवंबर तक, जबकि शेष 30 प्रतिशत राशि 20 दिसंबर तक जमा करानी होगी। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि जब तक मामला विचाराधीन है, स्कूल प्रबंधन छात्रों पर किसी प्रकार का दबाव या दंडात्मक कार्रवाई नहीं करेगा।

बेंच ने यह भी स्पष्ट निर्देश दिया कि इस बीच स्कूल यह सुनिश्चित करे कि किसी भी छात्र को कक्षाओं या अन्य सुविधाओं से वंचित न किया जाए। छात्रों को नियमित रूप से कक्षाओं में शामिल किया जाए और उन्हें सभी शैक्षणिक सुविधाएं दी जाएं। दरअसल, इस मामले में छात्रों के परिजनों ने स्कूल पर मनमानी फीस वसूली का आरोप लगाया था। याचिका में कहा गया था कि जिन अभिभावकों ने बढ़ी हुई फीस का भुगतान नहीं किया, उनके बच्चों को कक्षाओं में बैठने नहीं दिया जा रहा था और उन्हें स्कूल कैंटीन में बैठाया जा रहा था।

सिंगल जज ने स्कूल के पक्ष में दिया था निर्णय

इससे पहले, हाईकोर्ट की सिंगल जज बेंच ने 2 मई को एक अंतरिम आदेश पारित करते हुए अभिभावकों को निर्देश दिया था कि वे स्कूल की पूरी फीस जमा करें, हालांकि उन्हें यह राहत दी गई थी कि वे चार समान किस्तों में (हर दो महीने पर) बढ़ी हुई फीस जमा करा सकते हैं।

सिंगल जज के इसी आदेश को अभिभावकों ने वकील खगेश बी. झा और वकील शिखा शर्मा बग्गा के माध्यम से डिवीजन बेंच के समक्ष चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि स्कूल लगातार फीस में अनुचित वृद्धि कर रहा है, जबकि निजी स्कूलों को पहले ही निर्देश दिए गए थे कि वे शैक्षणिक सत्र 2017-18 के बाद फीस में बढ़ोतरी न करें। इसके बावजूद स्कूल प्रबंधन हर वर्ष फीस बढ़ा रहा है और जो अभिभावक बढ़ी हुई फीस नहीं भर रहे, उनके बच्चों को स्कूल से निकालने की धमकी दी जा रही है।

निजी स्कूल को देना होगा हलफनामा

इसके साथ ही, अदालत ने स्कूल को आदेश दिया है कि वह एक सप्ताह के भीतर एक हलफनामा (affidavit) दाखिल करे, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाए कि छात्रों को किसी भी प्रकार की प्रताड़ना — चाहे मानसिक हो या शारीरिक — नहीं दी जाएगी। इसी प्रकार, अभिभावकों को भी एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया गया है, जिसमें वे यह स्पष्ट करें कि वे अदालत के आदेशानुसार दो किस्तों में 60 प्रतिशत फीस जमा कराने के लिए तैयार हैं।

2017-18 के बराबर है 60 फीसदी फीस

अभिभावकों को भी एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करना होगा, जिसमें वे यह स्पष्ट करें कि वे दो किस्तों में 60 प्रतिशत फीस जमा कराने के लिए तैयार हैं। वकील खगेश बी. झा के अनुसार, अब तय 60 प्रतिशत फीस वर्ष 2017-18 के सत्र में लागू फीस के बराबर है। स्कूल ने पिछले सात साल में लगभग 40 प्रतिशत फीस बढ़ा दी है। उनका कहना है कि स्कूल लगातार मनमाने तरीके से फीस बढ़ा रहा है। इस पर बेंच ने कहा कि यदि स्कूल अन्य कोई बढ़ा शुल्क वसूल रहा है, तो वह भी निर्धारित प्रक्रिया के तहत शामिल होगा।

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