सुरेश पाण्डेय, सिंगरौली। यूं तो हर शहर में दीपावली का त्योहार बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है, लेकिन मध्य प्रदेश के सिंगरौली जिले में दीपावली की शुरुआत औड़ी वाले हनुमान जी के दर्शन के बाद होती है। यहां पर लोग बड़े ही उत्साह के साथ आते हैं और नारियल समेत अन्य सामग्री हनुमान जी को समर्पित करते हैं फिर उसी प्रसाद को ग्रहण कर दीपावली पर्व की शुरुआत करते हैं।

हम बात कर रहे है मध्य प्रदेश के ऋषि श्रृंगी मुनि की तपोस्थली भूमि यानि सिंगरौली की। यह धरा कई धरोहरों की थाती संजोए है। यहां के ऊर्जांचल क्षेत्र में औड़ी पहाड़ी पर झिंगुरदा हनुमान मंदिर स्थित है। सिद्धपीठ की मान्यता रखने वाला दुनिया का यह इकलौता ऐसा मंदिर है, जहां लड्डू, फूल-माला चढ़ाने से पहले नारियल चढ़ाया जाता है। यहां मन्नत के लिए भी चुनरी में नारियल बांधने और मुराद पूरी होने पर इसे खोलकर भंडारा और श्रृंगार की परंपरा वर्षों से बनी हुई है।

दीपावली पर लगता है मेला

दीपावली के अवसर पर औड़ी हनुमान मंदिर में मेले का आयोजन हो रहा है। जहां आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा। हनुमान मंदिर में दर्शन पूजन के लिए भारी भीड़ नजर आई। इस दौरान चप्पे-चप्पे पर पुलिस का पहरा बना रहा। मेले में श्रद्धालुओं ने हनुमान मंदिर पर दर्शन पूजन किया। इसके बाद मेले का लुफ्त उठाया। यहां सजी दुकानों पर लोगों ने खूब खरीदारी की। बच्चों के साथ महिलाओं ने भी झूले का खूब आनंद उठाया।

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पड़ोसी राज्यों से भी पहुंचते हैं लोग

रविवार को मेला शुरू होने के साथ मौसम काफी खुशनुमा था। मेले में एक से बढ़कर एक मिठाइयों की दुकानें सजी हुई थी। औड़ी हनुमान मंदिर पर पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश से बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। दीपावली के दिन सुबह से ही लोग पहुंचने लगे। सुबह भीड़ कम रही लेकिन दोपहर तक दर्शनार्थियों की लाइन बड़ी हो गई। व्यवस्था बनाने में पुलिस को भी काफी मशक्कत करनी पड़ी। लोगों ने हनुमान जी की विधि विधान से पूजा अर्चना करते हुए मनोकमाना पूरी करने प्रार्थना की।

खुद प्रकट हुई थी मूर्ति, सालभर खिला रहता है कमल

आपको बता दें कि यहां भगवान विष्णु को विशेष रूप से अर्पित होने वाला कमल चढ़ाने की परंपरा है। इसके लिए फूल यहां से महज दो से तीन किमी की दूरी पर प्राकृतिक सुषमा समेटे टिप्पा झरिया सरोवर से लाए जाते हैं। झरिया सरोवर में साल के बारहों महीने कमल खिला रहता है। यह आकर्षण का केंद्र तो है ही, साथ ही भक्त इसे किसी चमत्कार से कम नहीं मानते हैं। मंदिर के पुजारी रामलल्लू पांडेय बताते हैं कि इस स्थल पर दो हजार साल पहले खुद ब खुद मूर्ति प्रकट हुई थी। बाद के दिनों में सिंगरौली राजघराने ने विधिवत पूजन-अर्चन शुरू कराया। 200 साल पूर्व सिंगरौली राजघराने की तरफ से यहां दक्षिण भारत की शैली में भव्य हनुमान मंदिर का निर्माण भी कराया गया।

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8 पीढ़ियों से पुजारी निभा रहे परंपरा

उनका दावा है कि छत्रपति शिवाजी के काल में समर्थ गुरु रामदास ने भी यहां आकर हनुमान जी की आराधना की थी। उन्होंने बताया कि उनका परिवार आठ पीढ़ी से यहां पुजारी की परंपरा निभा रहा है। तांत्रिकों की नजर में भी यह सिद्धपीठ काफी महत्वपूर्ण है। दीपावली पर लगने वाला पांच दिवसीय मेला सिर्फ मध्य प्रदेश और यूपी के सीमावर्ती जिलों के लिए ही नहीं, देश, विदेश तक के लिए श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बना रहता है। यहां पूरी होती मुरादें और हरियाली से भरा आस-पास का इलाका सभी को खूब लुभाता है। यह मंदिर सिंगरौली जिला मुख्यालय से महज 40 किमी की दूरी पर स्थित है। जहां हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। ऐसी मान्यता है कि यहां हर भक्तों की मुराद पूरी हो जाती है।

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