अविनाश श्रीवास्तव/सासाराम। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले महागठबंधन के भीतर उठते अंतर्विरोध अब सतह पर नजर आने लगे हैं। रोहतास जिले की करगहर विधानसभा सीट से महागठबंधन के दो सहयोगी दल कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (CPI) ने एक ही सीट से अलग-अलग उम्मीदवार उतार दिए हैं। इस राजनीतिक टकराव ने महागठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़ा कर दिया है और ‘फ्रेंडली फाइट’ की स्थिति बन गई है।
एक बार फिर नामांकन दाखिल किया है
जानकारी के मुताबिक कांग्रेस के मौजूदा विधायक संतोष मिश्रा ने करगहर सीट से एक बार फिर नामांकन दाखिल किया है। वहीं दूसरी ओर CPI के नेता महेंद्र गुप्ता ने भी अपना नामांकन पर्चा दाखिल करते हुए दावा किया है कि वे महागठबंधन के अधिकृत उम्मीदवार हैं। उन्होंने कहा कि उन्हें CPI का सिंबल दिया गया है और वे तेजस्वी यादव के निर्देश पर चुनाव लड़ रहे हैं। महेंद्र गुप्ता ने मीडिया से बातचीत में कहा करगहर में इस बार बदलाव की जरूरत है। जनता पुराने चेहरे से ऊब चुकी है। मुझे पार्टी का सिंबल मिला है और तेजस्वी यादव ने भी मुझे समर्थन दिया है। मैं महागठबंधन का ही प्रत्याशी हूं और हमारा लक्ष्य है कि राज्य में गठबंधन की सरकार बने।
सियासी रणनीति का हिस्सा बताया
वहीं कांग्रेस उम्मीदवार संतोष मिश्रा ने इस पूरे घटनाक्रम को सियासी रणनीति का हिस्सा बताया है। उन्होंने कहा ऐसी चीजें चुनावी राजनीति में होती रहती हैं। यह कोई बड़ी बात नहीं है। आने वाले समय में सब स्पष्ट हो जाएगा। महागठबंधन पूरी तरह एकजुट है और कोई भ्रम की स्थिति नहीं है। हालांकि करगहर सीट पर दो महागठबंधन उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से कार्यकर्ताओं और मतदाताओं के बीच भ्रम की स्थिति बन गई है। राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इस स्थिति से विपक्ष यानी NDA को सीधा फायदा मिल सकता है। जिस प्रकार से महागठबंधन के घटक दलों के बीच तालमेल की कमी सामने आई है, उससे पूरे जिले में महागठबंधन की स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है। स्थानीय स्तर पर भी इस मुद्दे को लेकर चर्चा तेज हो गई है। करगहर की जनता अब यह समझने की कोशिश कर रही है कि असली महागठबंधन उम्मीदवार कौन है। दोनों ही दलों के कार्यकर्ता अपनी-अपनी पार्टी के उम्मीदवार को समर्थन देने की अपील कर रहे हैं, जिससे जमीनी स्तर पर टकराव और असमंजस की स्थिति बनी हुई है। लोगों का कहना है कि इस तरह की ‘फ्रेंडली फाइट’ से महागठबंधन को नुकसान हो सकता है। खासकर ऐसे समय में जब चुनावी माहौल गर्म है और NDA पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुका है, महागठबंधन के लिए यह स्थिति चुनौतीपूर्ण बन सकती है।
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