Bulldozer Action in White House: उत्तर प्रदेश सीएम योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर एक्शन हमेशा सुर्खियों में रहता है। योगी का बुलडोजर एक्शन अब सात समंदर पार अमेरिका भी पहुंच गया है। अमेरिका में अब व्हाइट हाउस में भी बुलडोजर की आवाज गूंज रही है। दरअसल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने व्हाइट हाउस पर ही बुलडोजर चलवा दिया है।
दरअसल ट्रंप व्हाइट हाउस में दुनिया का सबसे बड़ा और भव्य बॉलरूम बनवाना चाहते हैं। बकायदा इसके लिए व्हाइट हाउस के ईस्ट विंग को बुलडोजर से तोड़कर 90,000 वर्ग फुट का भव्य बॉलरूम बनाने का काम शुरू किया है। लिहाजा बुलडोजर से इन हिस्सों को गिराया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट की लागत 200-250 मिलियन डॉलर है।

ट्रंप के अनुसार, यह बॉलरूम 90,000 वर्ग फुट में फैलेगा। नए बॉलरूम में करीब 650 लोग आसानी से बैठ सकेंगे। इसे खासतौर पर इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि इसमें बड़े समारोह, दावतें, मीटिंग या अन्य कार्यक्रम हो सकें। बॉलरूम में सोने के झूमर, गिल्डेड कॉलम, चेकर्ड मार्बल फ्लोर और बड़ी खिड़कियां होंगी। इसे दक्षिणी मैदान की तरफ खोला जाएगा, जिससे व्हाइट हाउस की पुरानी नेोक्लासिकल स्टाइल बरकरार रहे।
ट्रंप का 15 साल पुराना सपना
दरअसल, ट्रंप ने 15 साल पहले व्हाइट हाउस में एक भव्य आयोजन स्थल बनाने का सपना देखा था। उनका मकसद था कि राष्ट्रपति अपने मेहमानों के लिए बड़े कार्यक्रम आसानी से आयोजित कर सकें। उन्होंने बार-बार कहा कि मौजूदा ईस्ट रूम छोटे कार्यक्रमों के लिए पर्याप्त नहीं है। ट्रंप ने बताया कि यह परियोजना पूरी तरह निजी फंडिंग से चलेगी. ट्रंप और उनके निजी डोनर्स इस पर पैसा खर्च कर रहे हैं। इसका उद्देश्य व्हाइट हाउस का आधुनिकीकरण और इसे और भव्य बनाना है।
भव्य बॉलरूम की खासियत
- क्षेत्रफल: 90,000 वर्ग फुट
- क्षमता: 650 लोग
- डिजाइन: सोने के झूमर, गिल्डेड कॉलम, चेकर्ड मार्बल फ्लोर, बड़ी खिड़कियां
- स्थिति: दक्षिणी मैदान की तरफ खुलता है
- उपयोग: बड़े समारोह, मीटिंग, दावत, कार्यक्रम
वाइट हाउस का निर्माण
वाइट हाउस के निर्माण की शुरुआत जॉर्ज वाशिंगटन के निर्देशन में हुई थी। 1791 में जब वाशिंगटन अमेरिका के पहले राष्ट्रपति बने, उन्होंने संघीय सरकार के लिए एक नई राजधानी शहर की स्थापना की देखरेख की, जिसे बाद में वाशिंगटन डीसी नाम दिया गया। इस नई राजधानी में राष्ट्रपति के लिए एक आधिकारिक निवास की आवश्यकता थी। वाशिंगटन ने फ्रांसीसी इंजीनियर पियरे चार्ल्स ल’एनफेंट को शहर का लेआउट डिजाइन करने का जिम्मा सौंपा और राष्ट्रपति भवन (जो बाद में वाइट हाउस के नाम से जाना गया) के लिए स्थान चुना गया। वाइट हाउस का डिजाइन जेम्स होबन नामक आयरिश वास्तुकार ने तैयार किया था, जिन्होंने 1792 में एक डिजाइन प्रतियोगिता जीती थी। वाशिंगटन ने व्यक्तिगत रूप से होबन के डिजाइन को मंजूरी दी और निर्माण प्रक्रिया की निगरानी की। निर्माण में स्थानीय बलुआ पत्थर (सैंडस्टोन) का उपयोग किया गया, जिसे बाद में सफेद रंग से पेंट किया गया, यही कारण है कि इसे ‘वाइट हाउस’ कहा जाने लगा।
हालांकि इसका आधिकारिक नाम एक्जीक्यूटिव मेंशन था, लेकिन 1901 में राष्ट्रपति थियोडोर रूजवेल्ट ने इसे औपचारिक रूप से वाइट हाउस नाम दिया। निर्माण कार्य 1792 में शुरू हुआ और 1800 में पूरा हुआ. पहले निवासी राष्ट्रपति जॉन एडम्स और उनकी पत्नी अबीगैल एडम्स थे, जो नवंबर 1800 में इसमें रहने आए। उस समय वाशिंगटन का कार्यकाल (1789-1797) समाप्त हो चुका था और वे 1799 में अपने निधन से पहले व्हाइट हाउस में कभी नहीं रहे।
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