राजधानी दिल्ली में इस बार दिवाली के दिन वायु गुणवत्ता ने पिछले चार वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया। रविवार रात को प्रदूषण का स्तर तेजी से बढ़ा और सूक्ष्म प्रदूषक कण (PM 2.5) की मात्रा 675 तक पहुंच गई, जो 2021 के बाद अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार (20 अक्टूबर) शाम 4 बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 345 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, दिवाली के दौरान पटाखों के व्यापक इस्तेमाल और ठंडी हवाओं की अनुपस्थिति के कारण प्रदूषण के स्तर में अचानक उछाल देखने को मिला।

इस बीच, कई जलवायु विशेषज्ञों ने मंगलवार को दावा किया कि इस वर्ष कुछ निगरानी केंद्रों के “पीक आवर” यानी व्यस्त समय के आंकड़े गायब हैं, जिससे वास्तविक स्थिति का मूल्यांकन कठिन हो रहा है। हालांकि, दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि “सभी आंकड़े पूरी तरह सुरक्षित हैं और विभाग की वेबसाइट व ऐप सामान्य रूप से काम कर रहे हैं।”

शहर का AQI उच्च स्तर पर रहा

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार (20 अक्टूबर) शाम चार बजे दिल्ली का 24 घंटे का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 345 दर्ज किया गया, जो ‘बेहद खराब’ श्रेणी में आता है। पिछले वर्षों में दिवाली के दिन यह औसत 2024 में 330, 2023 में 218 और 2022 में 312 रहा था।

प्रति घंटे जारी बुलेटिन के अनुसार, दिल्ली का एक्यूआई सोमवार रात भर उच्च स्तर पर बना रहा — रात 10 बजे 344, 11 बजे 347, आधी रात को 349 और रात एक बजे 348 दर्ज किया गया। मंगलवार (21 अक्टूबर) की सुबह भी स्थिति में सुधार नहीं हुआ। सुबह पांच बजे 346, छह बजे 347, सात बजे 351, आठ बजे 352, नौ बजे 356 और पूर्वाह्न 11 बजे तक यह 359 पर स्थिर रहा।

स्वास्थ्य संबंधी गंभीर जोखिम पैदा

पीएम 2.5 ऐसे सूक्ष्म कण होते हैं जो आसानी से श्वसन तंत्र में प्रवेश कर जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं। इनकी सांद्रता इस बार सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक रही। तुलना के लिए, 2024 में यह स्तर 609, 2023 में 570, 2022 में 534 और 2021 में 728 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था।

दिवाली के दिन शाम चार से पांच बजे के बीच दिल्ली में पीएम 2.5 का स्तर 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर था। इसके बाद हर घंटे प्रदूषण बढ़ता गया — शाम छह बजे 106, सात बजे 146, आठ बजे 223, नौ बजे 371 और रात 10 बजे 537 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया। आधी रात को यह 675 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर के शिखर पर पहुंचा, जो सुरक्षित सीमा से कई गुना अधिक है। इसके बाद प्रदूषण का स्तर धीरे-धीरे घटने लगा और मंगलवार सुबह तक पीएम 2.5 की मात्रा फिर से घटकर 91 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पर लौट आई।

प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान

निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) के आंकड़ों के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली के कुल वायु प्रदूषण में परिवहन उत्सर्जन का योगदान 14.6% रहा। वहीं, पड़ोसी इलाकों में गाजियाबाद का योगदान 6%, नोएडा का 8.3% और गुरुग्राम का 3.6% रहा। पराली जलाने का योगदान मात्र 1% दर्ज किया गया।सैटेलाइट डेटा के अनुसार, दिवाली के दिन पंजाब में 45, हरियाणा में 13 और उत्तर प्रदेश में 77 पराली जलाने की घटनाएं सामने आईं।

दिल्ली स्थित सीपीसीबी की वायु प्रयोगशालाओं के प्रमुख एवं पूर्व अतिरिक्त निदेशक डॉ. दीपांकर साहा ने बताया कि “बंगाल की खाड़ी में बने दबाव के कारण हवा की गति कम हो गई थी, जिससे प्रदूषक कण फैल नहीं पाए और वातावरण में जमा होते गए। हालांकि, हवा की गति बढ़ने से आने वाले दिनों में वायु गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है।”

पटाखे जलाने के बाद सड़कों पर फैला कूड़ा

सुप्रीम कोर्ट ने दिवाली पर रात आठ से 10 बजे तक केवल हरित पटाखे जलाने की अनुमति दी थी, लेकिन राजधानी के कई इलाकों में पटाखे देर रात तक जलाए गए। मंगलवार सुबह शहर की सड़कों और पार्कों में जगह-जगह जले पटाखों का कचरा बिखरा नजर आया, जिससे लोगों को आवागमन में परेशानी हुई। उपमहापौर जय भगवान यादव ने कई स्थानों का निरीक्षण किया और सफाई व्यवस्था को तुरंत दुरुस्त करने के निर्देश दिए।

इस बीच, राजधानी में पटाखों की बंपर बिक्री भी प्रदूषण बढ़ने का एक बड़ा कारण बनी। व्यापारियों ने बताया कि इस वर्ष पिछले साल की तुलना में लगभग 40 प्रतिशत अधिक बिक्री दर्ज की गई। चैंबर ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री (CTI) के चेयरमैन बृजेश गोयल ने बताया कि दिल्ली में इस त्योहारी सीजन में पटाखों की मांग में जबरदस्त वृद्धि हुई और कुल बिक्री का आंकड़ा लगभग 500 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है। अधिकांश दुकानों के स्टॉक दिवाली से पहले ही खत्म हो गए थे, जिसके चलते कई लोगों को पटाखे खरीदने के लिए गुरुग्राम, नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद और सोनीपत तक जाना पड़ा।

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