Kartik Purnima 2025: कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को सनातन धर्म में सबसे पवित्र दिनों में गिना जाता है. मान्यता है कि इस दिन समस्त देवता स्वर्ग लोक से पृथ्वी पर अवतरित होकर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं. इसी कारण लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना, नर्मदा, गोदावरी और अन्य तीर्थों में डुबकी लगाकर पुण्य की प्राप्ति करते हैं. इस बार कार्तिक पूर्णिमा 5 नवंबर को मनाई जाएगी. देव दीपावली का प्रतीक शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का संहार किया था. उस विजय के उपलक्ष्य में देवताओं ने दिव्य दीपों से संपूर्ण ब्रह्मांड को आलोकित किया. तभी से इस दिन को ‘देव दीपावली’ कहा जाता है.

पुण्यकारी स्नान का महत्व (Kartik Purnima 2025)
ब्रह्ममुहूर्त में नदी या पवित्र जल में स्नान को विशेष रूप से फलदायी बताया गया है. धर्मशास्त्रों में इसका उल्लेख है कि कार्तिक पूर्णिमा का एक स्नान हजार यज्ञों के समान फल देता है. भक्त स्नान के उपरांत भगवान विष्णु और शिव की पूजा करते हैं.
भक्ति और उत्सव का वातावरण (Dev Diwali)
वाराणसी, प्रयागराज, हरिद्वार, पुष्कर और उज्जैन जैसे तीर्थों में इस अवसर पर अद्भुत दृश्य देखने को मिलता है. घाटों पर दीपों की पंक्तियाँ, मंत्रोच्चारण, आरती और भजन के स्वर पूरे वातावरण को अलौकिक बना देते हैं. गंगा तट पर दीपों का सागर झिलमिलाता है, जिसे देखने देश-विदेश से श्रद्धालु पहुँचते हैं.
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