अनिल सक्सेना, रायसेन। मध्य प्रदेश के रायसेन में पाड़ों की लड़ाई का आयोजन किया गया। यह परंपरा 85 साल से चली जा रही है। इसमें यादव समाज के लोग श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत हीरामन बाबा की पूजा अर्चना से की गई है।

दीपावली के बाद रायसेन में यादव समाज हर साल की तरह इस वर्ष भी पारंपरिक पाड़ों की लड़ाई का आयोजन कर रह हैं। यह अनोखी परंपरा पिछले लगभग 85 वर्षों से निरंतर चली आ रही है, जिसमें यादव समाज के लोग श्रद्धा और उत्साह के साथ भाग लेते हैं। कार्यक्रम की शुरुआत हीरामन बाबा की पूजा-अर्चना से की गई। यादव समाज के लोगों ने ढोल-ताशों की गूंज के बीच गाय-भैंसों और पाड़ों को सजाकर शोभायात्रा के रूप में हीरामन बाबा के दरबार तक पहुंचाया। वहां दूध का भोग लगाया गया और प्रसाद वितरण के बाद रोमांचक पाड़ों की लड़ाई शुरू हुई।

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इस बार की लड़ाई में रामस्वरूप यादव के “भोला किंग” और चैन सिंह यादव के दोहरा सरदार पाड़े के बीच मुकाबला हुआ, जो लगभग आधे घंटे तक चला। लड़ाई देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों की भीड़ उमड़ी। कई दर्शक तो पेड़ों पर चढ़कर यह दृश्य देखने को मजबूर हुए। काफी देर तक चले मुकाबले में किसी भी पाड़े की जीत-हार नहीं हुई, जिसके चलते दोनों को बराबरी पर घोषित किया गया।

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आयोजक रामस्वरूप यादव ने बताया कि यह परंपरा यादव समाज की आस्था और एकता का प्रतीक है। पूजा-अर्चना के बाद ही पाड़ों की लड़ाई कराई जाती है और विजेता पाड़े के मालिक को इनाम दिया जाता है। इस पारंपरिक आयोजन ने एक बार फिर यह साबित किया कि आधुनिकता के दौर में भी ग्रामीण संस्कृति और लोक परंपराएं आज भी जीवंत हैं।

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