कुंदन कुमार/जहानाबाद। जिले के रतनी फरीदपुर प्रखंड अंतर्गत पोखमा गांव में बुधवार को उस समय माहौल गरमा गया, जब पूर्व सांसद और एनडीए के मौजूदा उम्मीदवार चंदेश्वर प्रसाद चंद्रवंशी चुनाव प्रचार के लिए गांव पहुंचे। प्रचार के दौरान ग्रामीणों ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया और बीते पांच वर्षों के उनके कार्यकाल का हिसाब मांगने लगे। इस दौरान गांव की समस्याओं को लेकर जमकर नाराजगी भी जाहिर की गई। ग्रामीणों ने कहा कि जब सांसद चुनाव जीतते हैं, तो बड़े-बड़े वादे करते हैं सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में सुधार के दावे होते हैं। लेकिन हकीकत ये है कि पोखमा जैसे गांव आज भी मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं। गांव में सड़कें टूट चुकी हैं, जल निकासी की व्यवस्था बदहाल है, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र निष्क्रिय पड़ा है और सरकारी स्कूलों में शिक्षक तक नहीं हैं।

काम के आधार पर वोट देगी

ग्रामीणों ने साफ कहा कि हर चुनाव में नेता वोट मांगने आते हैं, लेकिन जैसे ही चुनाव खत्म होता है, गांव की सुध लेना तो दूर, मुड़कर देखना तक गंवारा नहीं करते। इस बार जनता सिर्फ वादों पर नहीं, काम के आधार पर वोट देगी।

विकास कार्यों का लाभ धीरे-धीरे मिलना शुरू

इस विरोध के बीच पूर्व सांसद चंद्रवंशी ने स्थिति को संभालते हुए शांतिपूर्वक सभी की बातें सुनीं। उन्होंने कहा कि सांसद रहते हुए उन्होंने जहानाबाद जिले के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की थीं, जिनमें सड़क निर्माण, पेयजल आपूर्ति और शिक्षा से संबंधित योजनाएं शामिल थीं। उनका कहना था कि विकास की प्रक्रिया एक सतत कार्य है, और कई योजनाओं का लाभ धीरे-धीरे मिलना शुरू हो गया है।

मुख्यधारा से जोड़ने का वादा किया

पूर्व सांसद ने भरोसा दिलाया कि यदि जनता उन्हें एक और मौका देती है, तो वे अधूरे कार्यों को प्राथमिकता के साथ पूरा करेंगे। उन्होंने पोखमा गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने का वादा भी किया।

चुनावी माहौल को गर्म कर दिया

इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीणों के साथ-साथ एनडीए कार्यकर्ता भी मौजूद रहे। गांव में हुई इस सीधी बातचीत ने चुनावी माहौल को गर्म कर दिया है। यह घटना बताती है कि अब ग्रामीण मतदाता जागरूक हो चुके हैं और वे अपने अधिकारों व अपेक्षाओं को लेकर नेताओं से सीधे सवाल करने लगे हैं। जहां एक ओर चंद्रवंशी ने संवाद और भरोसे से स्थिति को संभालने की कोशिश की, वहीं यह घटना आने वाले चुनाव में मतदाताओं की बदलती मानसिकता और चुनावी समीकरणों पर गहरा असर डाल सकती है। पोखमा गांव की यह तस्वीर अब पूरे जिले में चर्चा का विषय बनी हुई है।