जगदलपुर। बस्तर से लेकर झारखंड तक माओवादी संगठन के शीर्ष कमांडरों के खात्मे से संगठन की नींव हिल चुकी है. केंद्रीय गृह मंत्रालय के सख्त रुख और लगातार चल रहे ऑपरेशनों ने माओवादियों के नेटवर्क को झटका दिया है. सिर्फ इस साल, सुरक्षा बलों ने देशभर में टॉप 9 माओवादी कमांडरों को अलग-अलग मुठभेड़ों में ढेर किया है. इनमें से चार बड़े कमांडर सिर्फ बस्तर क्षेत्र में मारे गए. आइए देखते हैं, कब और कहां खत्म हुआ माओवादियों का यह शीर्ष नेतृत्व….


केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा माओवादी उन्मूलन के ऐलान के बाद से देशभर में सुरक्षा बलों ने लगातार मोर्चा संभाला है.2025 में अब तक 9 शीर्ष माओवादी कमांडर मारे गए हैं, जिनकी मौत से संगठन का शीर्ष ढांचा लगभग ध्वस्त हो चुका है.
बस्तर, जो कभी माओवाद का गढ़ माना जाता था, अब सुरक्षा बलों की सबसे बड़ी सफलता का केंद्र बना है. यहां सिर्फ दो सालों में 427 माओवादी मारे जा चुके हैं. वही नक्सलियों ने पर्चा जारी कर 22 महीनों में 700 नक्सल साथियों के मारे जाने को स्वीकारा है.
टाइमलाइन: कब, कहां और कौन मारा गया
21 जनवरी 2025, गरियाबंद (कुल्हाड़ी घाट) : केंद्रीय समिति सदस्य जयराम उर्फ़ चलपति को सुरक्षा बलों ने भालू डिग्गी जंगल में मुठभेड़ के दौरान मार गिराया.
21 अप्रैल 2025, झारखंड (बोकारो): केंद्रीय समिति सदस्य विवेक दा उर्फ प्रयाग मांझी को पुलिस ने लुगु पहाड़ इलाके में ढेर किया.
21 मई 2025, नारायणपुर (माड़): पोलित ब्यूरो महासचिव नंबाल्ला केशव राव उर्फ बसवराजू को DRG जवानों ने मुठभेड़ में मार गिराया.
5 जून 2025, बीजापुर (नेशनल पार्क क्षेत्र): केंद्रीय समिति सदस्य सुधाकर उर्फ नर सिंहाचलम ढेर हुआ.
18 जून 2025, छत्तीसगढ़-तेलंगाना बॉर्डर : केंद्रीय समिति सदस्य गजराला रवि उर्फ उदय को ग्रेहाउंड्स ने मार गिराया.
11 सितंबर 2025, गरियाबंद (माताल जंगल): केंद्रीय समिति सदस्य मनोज उर्फ मोडेम बालकृष्णा मारा गया.
14 सितंबर 2025, झारखंड (हजारीबाग): केंद्रीय समिति सदस्य सहदेव सोरेन उर्फ प्रवेश को सीआरपीएफ ने मुठभेड़ में ढेर किया.
22 सितंबर 2025, नारायणपुर (अबूझमाड़): केंद्रीय समिति सदस्य राजू दादा उर्फ कट्टा रामचंद्र रेड्डी और कोसा दादा उर्फ कादरी सत्यनारायण रेड्डी दोनों एक ही ऑपरेशन में मारे गए.
प्रभाव और मौजूदा स्थिति:
इन नौ कमांडरों के खात्मे के बाद अब माओवादी संगठन की रणनीति अस्त-व्यस्त हो चुकी है. सूत्रों के मुताबिक, शीर्ष नेतृत्व के कमजोर पड़ने से संगठन के अंदर असंतोष और अविश्वास बढ़ा है. क्षेत्रीय कमांडर अब केंद्रीय आदेशों के बिना ही काम कर रहे हैं, जिससे माओवादी ढांचे में फूट पड़ती दिख रही है.
बस्तर आईजी सुंदरराज पी. ने बताया कि सुरक्षा बलों ने 9 शीर्ष कमांडरों को बेअसर किया है. अब पोलित ब्यूरो सदस्य गणपति, देवजी, चंद्रनना और हिड़मा को आत्मसमर्पण का अवसर दिया गया है. अगर हथियार नहीं डालते, तो परिणाम गंभीर होंगे.
माओवादी संगठन की रीढ़ अब लगभग टूट चुकी है. फोर्स अब बचे हुए शीर्ष नेताओं पर सटीक कार्रवाई की तैयारी में है. आने वाले महीनों में यह अभियान और तेज़ होगा क्योंकि अब सरकार का लक्ष्य स्पष्ट है बस्तर से लेकर झारखंड तक, माओवादी हिंसा का पूर्ण अंत.
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