वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर। महासमुंद जिले के बहुचर्चित अविनाश पांडेय हत्या मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। यह फैसला जस्टिस रजनी दुबे और जस्टिस अमितेंद्र किशोर प्रसाद की डिविजन बेंच ने सुनाया। कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के पहले के फैसले को पलटते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष अपने आरोप साबित करने में असफल रहा।

बता दें कि यह मामला जून 2013 का है, जब अविनाश पांडेय गंभीर रूप से घायल अवस्था में एफसीआई गोदाम, बागबहरा के पास पाया गया था। शुरुआती जांच में पुलिस ने इसे सड़क दुर्घटना माना था, लेकिन बाद में हत्या का मामला दर्ज कर सात आरोपियों विश्‍वजीत राय, सनी राय, संटू राय, रवि चंद्राकर, रवि खरे, मनीष सोनी और ढाबा कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा चलाया गया। सत्र न्यायालय ने आरोपियों को दोषी ठहराते हुए उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई थी।

आरोपियों की अपील पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने पाया कि अभियोजन पक्ष के मुख्य गवाह मुकेश शर्मा का बयान विरोधाभासी और अविश्वसनीय है। कोर्ट ने कहा कि गवाह खुद घटना स्थल से भाग गया था, कई दिन बाद अपना बयान दिया और मृतक का मोबाइल फोन अपने पास रखा। इसके अलावा, मृतक के पिता और मामा सहित अन्य गवाहों ने घटना की जानकारी होने के बावजूद पुलिस को समय पर सूचित नहीं किया।

हाईकोर्ट ने डॉक्टरों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि घायल अवस्था में मिली चोटें सड़क दुर्घटना से मेल खाती हैं और किसी हमले के ठोस प्रमाण नहीं मिले। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि अभियोजन की कहानी संदेह से परे साबित नहीं होती और कथित मौखिक या लिखित ‘डाइंग डिक्लेरेशन’ भी कानूनन भरोसेमंद नहीं है। अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया।

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