अजयारविंद नामदेव, शहडोल। कभी शांत और संयमित माने जाने वाला शहडोल जिला अब आए दिन हो रहे विरोध प्रदर्शनों और सड़क जाम के कारण सुर्खियों में है। हाल के दिनों में जिले में लगातार ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं, जिनके बाद आम जनता से लेकर जनप्रतिनिधि तक पुलिस-प्रशासन के खिलाफ खुलकर विरोध जताने लगे हैं।

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पिछले दो सप्ताह में जिले में विरोध की कई श्रृंखलाएं देखने को मिलीं।  केशवाही में दुर्गा विसर्जन यात्रा के दौरान पुलिसकर्मियों पर विवाद, बुढार में सड़क हादसे में वृद्ध महिला की मौत, केशवाही में दो भाइयों की हत्या, और हाल ही में सरईकापा तालाब में युवक की डूबने की घटना, हर बार लोगों ने शव रखकर सड़क जाम किया और प्रशासन की लापरवाही पर आक्रोश जताया। 

इन घटनाओं के बीच अब सवाल उठ रहे हैं कि आखिर जिले में ऐसी स्थिति क्यों बन रही है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि वर्षों से एक ही स्थान पर जमे अधिकारी और थाना प्रभारी अब संवेदनशीलता खो चुके हैं। तबादलों की कमी और निष्क्रियता ने पुलिस-जनता के बीच भरोसे की डोर कमजोर कर दी है।

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विशेषज्ञों का मानना है कि अब यह केवल विरोध नहीं, बल्कि प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति जनता के गहराते अविश्वास का संकेत है। यदि समय रहते नेतृत्व और कार्यप्रणाली में बदलाव नहीं हुआ, तो यह असंतोष और गहरा सकता है। शहडोल के लिए यह विरोध की लहर, प्रशासन के लिए चेतावनी की घंटी बन चुकी है।

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