संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ समारोह के दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने बहुपक्षवाद के सामने आने वाली चुनौतियों पर जोर दिया। उन्होंने आतंकवाद के प्रति संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया और मौजूदा वैश्विक संकटों के बीच ग्लोबल साउथ के बढ़ते संकट पर चिंता जताई।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने अपराधियों को जवाबदेह ठहराने में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की बढ़ती विफलता की ओर इशारा करते हुए कहा कि आतंकवाद के प्रति संयुक्त राष्ट्र की प्रतिक्रिया से ज्यादा कुछ उदाहरण संयुक्त राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में ज्यादा नहीं बताते। जब सुरक्षा परिषद का एक वर्तमान सदस्य उसी संगठन का खुलेआम बचाव करता है जो पहलगाम जैसे बर्बर आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी लेता है, तो इससे बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता पर क्या असर पड़ता है?”
जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने के लिए आतंकवाद के प्रति उसकी प्रतिक्रिया एक बड़ा उदाहरण है। उन्होंने चिंता जताई कि सुरक्षा परिषद का एक स्थायी सदस्य खुले तौर पर उन संगठनों का बचाव करता है जो पहलगाम जैसे भयानक आतंकवादी हमलों की जिम्मेदारी लेते हैं। यह बहुपक्षवाद की विश्वसनीयता को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचाता है।
उन्होंने आगे कहा कि वैश्विक रणनीति के नाम पर आतंकवाद के पीड़ितों और अपराधियों को एक समान मानना दुनिया को और भी अधिक निंदनीय बना देता है। जब खुद को आतंकवादी घोषित करने वाले लोगों को प्रतिबंधों की प्रक्रिया से बचाया जाता है, तो इसमें शामिल लोगों की ईमानदारी पर भी सवाल उठता है।
विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर ने कहा, ‘हमें यह भी मानना होगा कि संयुक्त राष्ट्र में सब कुछ ठीक नहीं है। इसकी निर्णय प्रक्रिया न तो इसके सदस्यों को प्रतिबिंबित करती है और न ही वैश्विक प्राथमिकताओं को संबोधित करती है। इसकी बहसें तेजी से ध्रुवीकृत हो गई हैं और इसका कामकाज स्पष्ट रूप से अवरुद्ध हो गया है। किसी भी सार्थक सुधार को सुधार प्रक्रिया के माध्यम से ही बाधित किया जाता है। अब, वित्तीय बाधाएं एक अतिरिक्त चिंता के रूप में उभरी हैं। संयुक्त राष्ट्र को इसके पुनर्निर्माण की मांग करते हुए भी कैसे बनाए रखा जाए, यह स्पष्ट रूप से हम सभी के सामने एक बड़ी चुनौती है।
संयुक्त राष्ट्र की 80वीं वर्षगांठ
भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र (UN) के 80वीं वर्षगांठ के मौके पर कहा कि दुनिया आज कई चुनौतियों का सामना कर रही है, जिनमें सामाजिक-आर्थिक प्रगति, व्यापारिक नियम और सप्लाई चेन पर निर्भरता शामिल है। उन्होंने कहा कि इन मुश्किलों के बावजूद, बहुपक्षवाद (multilateralism) के प्रति हमारी प्रतिबद्धता मजबूत रहनी चाहिए और संयुक्त राष्ट्र का समर्थन किया जाना चाहिए। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय सहयोग में विश्वास बनाए रखने का आह्वान किया।
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