FATF Warned Pakistan: फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है। एफएटीएफ की प्रेसिडेंट एलिसा दी ऐंडा मैडराजो ने (FATF chief Elisa de Anda Madrazo) पाक पीएम शहबाज शरीफ (Shehbaz Sharif) और सेना अध्यक्ष मुनीर को सीधी चेतावनी देते हुए कहा कि ग्रे लिस्ट से बाहर होने का मतलब यह नहीं है कि आतंकवाद को फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग की छूट मिल गई है। FATF ने साफ कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ सतत निगरानी जारी रहेगी।

FATF की प्रेसिडेंट एलिसा दी ऐंडा मैडराजो ने कहा कि पहले भी कई रिपोर्ट्स में यह जानकारी मिली थी कि आतंकवादी ई-वॉलेट का इस्तेमाल कर रहे है। उन्होंने कहा, “पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से बाहर करने के बाद भी उसकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। पाकिस्तान सीधे FATF का सदस्य नहीं है, बल्कि एशिया-पैसिफिक ग्रुप का सदस्य है, इसलिए उसी के जरिए फॉलो-अप किया जाता है।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि किसी देश को ग्रे लिस्ट से बाहर कर दिया जाए, तो इसका मतलब यह नहीं कि उस देश को अपराधिक गतिविधियों के लिए सुरक्षा मिल गई। FATF का काम ही यह है कि दुनियाभर में आतंकियों के फंडिंग नेटवर्क पर नजर रखी जाए।

डिजिटल वॉलेट से फंडिंग का नया तरीका

दरअसल हाल ही में पाकिस्तान के आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने ई-वॉलेट्स के जरिए फंड इकट्ठा करना शुरू किया है। जानकारी के अनुसार, ईजीपैसा और सदापे जैसे डिजिटल वॉलेट्स का इस्तेमाल मसूद अजहर और उनके परिवार के खातों में पैसे जमा करने के लिए किया जा रहा है। FATF के मुताबिक, आतंकी अब अपने परिवार के सदस्यों का सहारा लेते हैं। वे महिलाओं के नाम पर अकाउंट बनाते हैं ताकि एक ही अकाउंट में ज्यादा पैसा न जमा हो और बड़ी रकम धीरे-धीरे इकट्ठी करके आतंकियों के नए कैंप बनाने में इस्तेमाल की जा सके।

धार्मिक और शैक्षिक संस्थाओं का दिखावा

FATF ने चेताया कि आतंकी संगठन अक्सर खुद को धार्मिक या शैक्षिक संस्थाएं बताकर धन इकट्ठा कर रहे हैं। इसका उद्देश्य है कि वे निगरानी से बचकर अपनी गतिविधियों को जारी रख सकें।

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