रायपुर। ईओडब्ल्यू के अधिकारियों के खिलाफ 164 के बयान में छेड़छाड़ के संबंध में अदालत में लगाई गई याचिका पर आज मजिस्ट्रेट बेग की अदालत में सुनवाई होगी. कांग्रेस नेता गिरीश देवांगन द्वारा दायर याचिका पर दलील देने के लिए दिल्ली से तीन वकील आज रायपुर पहुंच रहे हैं. इस मुद्दे को पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने प्रेस कांफ्रेंस उठाया था.
यह भी पढ़ें : धान खरीदी शुरू होने से पहले सेवा सहकारी समिति ने दिया अनिश्चतकालीन आंदोलन का अल्टीमेटम, जानिए क्या है चार सूत्रीय मांगें…
बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शनिवार को ईओडब्ल्यू और एसीबी पर न्यायिक प्रक्रिया की मर्यादा को तोड़ते हुए अभियुक्तों के खिलाफ झूठे साक्ष्य और बयान गढ़ने का आरोप लगाया था. उन्होंने इसे लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरा बताते हुए इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की थी.

भूपेश बघेल ने बताया कि सीआरपीसी की धारा 164, जो अब BNS की धारा 183 के रूप में लागू है. इसके तहत मजिस्ट्रेट के सामने अभियुक्तों के बयान कलमबद्ध किए जाते हैं, और यह बयान पूरी तरह गोपनीय माने जाते हैं. लेकिन ईओडब्ल्यू और एसीबी ने इस प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए पहले से टाइप किए गए बयान को पेन ड्राइव में अदालत में पेश किया, जिसे अभियुक्त का वास्तविक बयान बताया गया.
सीलबंद बयान को खुले में किया पेश
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि यह षड्यंत्र कोयला घोटाले के आरोपी सूर्यकांत तिवारी की जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान सामने आया. सुप्रीम कोर्ट में तिवारी के खिलाफ जो दस्तावेज लगाए गए, उनमें एक सह आरोपी निखिल चंद्राकर का बयान धारा 164 के तहत शामिल किया गया था. उन्होंने कहा कि यह बयान सीलबंद रहना चाहिए था, लेकिन वह खुले रूप से अदालत में पेश किया गया, जो न्याय की मूल भावना पर सवाल उठाता है.
बयान में हेराफेरी का लगाया आरोप
बघेल ने कहा कि छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने साफ निर्देश दिए हैं कि अदालत की ओर से तैयार किए जाने वाले दस्तावेजों का फॉन्ट एक समान होगा, लेकिन ईओडब्ल्यू की ओर से प्रस्तुत बयान के दस्तावेजों का फॉन्ट अलग पाया गया, जिससे यह स्पष्ट होता है कि बयान में हेराफेरी की गई है.
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

