दक्षिण दिल्ली के गुलमोहर पार्क में रहने वाले सेवानिवृत्त बैंकर के साथ राजधानी की अबतक की सबसे बड़ी डिजिटल ठगी का मामला सामने आया है. आरोपियों ने सख्स को डिजिटल अरेस्ट कर उससे 22.92 करोड़ की ठगी कर ली। अपराधियों ने पीड़ित को छह सप्ताह तक डिजिटल कैद में रखा था। दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) ने मामले में पांच लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें तीन बैंक खाता धारक, एक बिचौलिया और एक एनजीओ संचालक शामिल है। पुलिस का कहना है कि यह दिल्ली का अब तक का सबसे बड़ा डिजिटल अरेस्ट का मामला है और इसके तार कंबोडिया में बैठे चीनी साइबर अपराधियों से जुड़े हैं।

ठगों ने पहले एक महिला के जरिये मल्होत्रा को फंसाया, जिसने खुद को एक दूरसंचार कंपनी की वरिष्ठ अधिकारी बताया। उसने आरोप लगाया कि पीड़ित का मोबाइल नंबर अवैध गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है। इसके बाद मुंबई पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई अधिकारी बनकर कई अन्य ठग वीडियो कॉल पर सामने आए और जांच के नाम पर उन्हें मानसिक रूप से कैद कर लिया। पुलिस के मुताबिक, ठग हर दो घंटे में वीडियो कॉल करते थे ताकि पीड़ित कहीं संपर्क न कर सके। उन्हें गोपनीयता की शपथ के नाम पर एक सादे कागज पर हस्ताक्षर करवा कर उसकी फोटो व्हाट्सएप पर मंगाई गई थी।

जांच में खुलासा हुआ है कि ठगों ने उत्तराखंड के एक गांव में एनजीओ चलाने वाले कनकपाल को कमीशन के लालच में अपने नेटवर्क से जोड़ा। ठगी के पैसे उसके एनजीओ के बैंक खाते में ट्रांसफर किए गए ताकि विदेशी फंडिंग जैसी वैधता का आभास दिया जा सके।

पुलिस टीम ने अब तक 2,500 बैंक खातों को फ्रीज किया है, जिनमें से करीब 3 करोड़ रुपये की राशि रोकी गई है। बताया जा रहा है कि यह गिरोह दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित होता है और भारत में अपने एजेंटों के जरिये काम करता है। कंबोडिया में बैठे ठग बैंक खातों और एनजीओ के नेटवर्क से पैसे बाहर भेजते हैं। पुलिस को आशंका है कि इस गिरोह ने देशभर में कई लोगों को इसी तरह डिजिटल अरेस्ट कर ठगा है। पुलिस ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड से अशोक, मोहित, अमित, समरजीत और कनकपाल को गिरफ्तार किया है।

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