Chhath Puja 2025: लोकआस्था का चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा आज ‘नहाए-खाए’ के साथ शुरू हो गया. सूर्य उपासना का यह पर्व केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आस्था, पर्यावरण और ऊर्जा का अद्भुत संगम है. इस पर्व का प्रसार अब देश की सीमाओं को पार कर विदेशों तक पहुंच चुका है.
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Chhath Puja 2025
पवित्रता का संकल्प: ‘नहाए-खाए’
नहाए-खाए के दिन व्रतियों ने स्नान कर पवित्रता का संकल्प लिया. परंपरा के अनुसार, इस दिन व्रती जौ-चावल और कद्दू की सब्जी का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं. मान्यता है कि यह प्रक्रिया शरीर और मन को शुद्ध कर चार दिवसीय कठिन व्रत की नींव रखती है.
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प्रकृति-संरक्षण का संदेश (Chhath Puja 2025)
छठ पर्व भारतीय संस्कृति की प्रकृति के प्रति गहरी संवेदनशीलता को दर्शाता है. इसमें जीवन और ऊर्जा के स्रोत सूर्य देव की उपासना के साथ ही प्रकृति के हर तत्व को नमन किया जाता है. व्रतियों द्वारा नदी और तालाबों के किनारे व्रत रखने की परंपरा जल संरक्षण के प्रति जागरूकता बनाए रखती है. पूजा में बांस की टोकरी, मिट्टी के दीये और प्राकृतिक अन्न का प्रयोग पर्यावरण-संरक्षण का सशक्त संदेश देता है.
आगे की कठिन साधना (Chhath Puja 2025)
पर्व के दूसरे दिन ‘खरना’ में व्रती निर्जल उपवास कर गुड़-चावल की खीर का प्रसाद बनाते हैं. सबसे महत्वपूर्ण तीसरे दिन होता है, जब अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. चौथे दिन उदीयमान सूर्य को अर्घ्य देने के साथ यह महापर्व संपन्न होता है. इन दो रातों में घाटों पर भक्ति संगीत, लोकगीत और असंख्य दीपों की ऊर्जा से वातावरण अलौकिक हो उठता है.
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