रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कांग्रेस सरकार से किसानों की ऋणमाफी के वादे पर ईमानदारी से पहलकदमी करने की मांग की है. माकपा राज्य सचिवमंडल ने आज जारी एक बयान में कहा है कि ऋणमाफी के दायरे में केवल अल्पकालीन ऋण को ही नहीं, बल्कि सभी प्रकार के कृषि कर्जों को रखा जाना चाहिए, ताकि कर्जमाफी की सरकार की घोषणा किसानों की ऋणमुक्ति में बदल सके.

माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि वास्तविक स्थिति यह है कि आज भी कर्ज वसूली के लिए बैंकों से किसानों को धड़ाधड़ नोटिसें मिल रही है. जिन किसानों के ऋण माफ किये गए है, प्रमाणपत्र के अभाव में वे भी नए ऋण से वंचित हो रहे हैं.

माकपा नेता ने मध्यप्रदेश की तर्ज़ पर ही आदिवासियों को साहूकारी कर्ज़ के बोझ से मुक्त करने और उनकी गिरवी रखी जमीन और जेवरों को वापस दिलाने हेतु पहल करने की भी मांग की है. उन्होंने रेखांकित किया है कि नाबार्ड की रिपोर्ट के ही अनुसार भूमिहीन आदिवादियों सहित 37 लाख किसान परिवार सरकारी ऋण योजना के दायरे से बाहर हैं, जिन्हें ऋण माफी की योजना का कोई फायदा नहीं मिला है. इन किसान परिवारों पर औसतन 50 हजार रुपयों का ऋण चढ़ा हुआ है.

उन्होंने कहा कि अनियमित और असमान वर्षा के कारण अधिकांश किसानों का उत्पादन प्रभावित हुआ है. मनरेगा में न तो काम मिल रहा है और न ही बकाया मजदूरी का भुगतान हो रहा है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब है। एकबारगी संपूर्ण कर्जमाफी से ही उन्हें तात्कालिक राहत मिल सकती है.