हेमंत शर्मा, इंदौर। वार्ड 74 में टैक्स वसूली से शुरू हुआ विवाद अब पूरी तरह राजनीतिक आग में बदल गया है।
नगर निगम के एआरओ और पार्षद पति के बीच हुए टकराव के बाद मामला न सिर्फ पुलिस थाने तक पहुंचा, बल्कि अब महापौर प्रतिनिधि विवेक सिन्हा के बयान ने बीजेपी सरकार के भीतर हलचल मचा दी है।
क्या किसी और राजनीतिक पार्टी का दबाव
दरअसल, विवेक ने देर रात एक फेसबुक लाइव किया, जिसमें वे सीधे तौर पर पुलिस प्रशासन पर दबाव में काम करने के आरोप लगाते नजर आए। हालांकि यह वीडियो कुछ ही देर बाद उन्होंने डिलीट कर दिया, लेकिन तब तक यह सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हो चुका था। सवाल खड़ा होता है कि बीजेपी सरकार में क्या किसी और राजनीतिक पार्टी का दबाव है या फिर यह सीधे तौर पर मुख्यमंत्री पर सवाल खड़े किए जा रहे हैं।
“लाडली बहना थाने में परेशान, पुलिस किसके दबाव में
वायरल वीडियो में विवेक सिंघा कहते नजर आ रहे हैं-“रात का एक बज चुका है… 80 वर्ष की लाडली बहना थाने में बैठी हैं, लेकिन पुलिस एफआईआर दर्ज नहीं कर रही। आखिर पुलिस किसके दबाव में काम कर रही है? पार्षद दल के नेता कमल वाघेला, सचेतक बबलू शर्मा, राजेश उदावत, मलखान कटारे, शानू शर्मा, भावेश दावे, आयुष रावल और प्रशांत बडवे- सब यहां मौजूद हैं, लेकिन पुलिस प्रशासन किसी भी प्रकार का सहयोग करने के लिए तैयार नहीं है। यहां क्षेत्रीय पार्षद भी मौजूद है।
निशाने पर निगम प्रशासन और पुलिस तंत्र
मुख्यमंत्री से हम निवेदन करेंगे कि इस प्रकार के कृत्य के लिए इस प्रकार से सहन करना पड़ेगा यह बड़ा विचारणीय प्रश्न है।वीडियो के अंत में विवेक ने कहा-मुख्यमंत्री को टैग करो यह वीडियो।“निगम कमिश्नर दिलीप यादव मुर्दाबाद! वीडियो मुख्यमंत्री जी को टैग करो।” इस बयान के बाद माहौल और गरम हो गया। स्पष्ट है कि सिंघा के निशाने पर सीधे तौर पर नगर निगम प्रशासन और पुलिस तंत्र थे। जबकि गृह विभाग की कमान खुद मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के पास है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि सिन्हा का यह बयान किसकी ओर इशारा कर रहा था।
महापौर को नहीं थी जानकारी
सूत्रों के मुताबिक, महापौर पुष्यमित्र भार्गव को इस पूरे फेसबुक लाइव की कोई जानकारी नहीं थी। जब तक उन्हें पता चला, तब तक वीडियो वायरल हो चुका था। बाद में विवेक ने फेसबुक से यह पोस्ट हटा दी, लेकिन वीडियो क्लिप्स सोशल मीडिया पर तेजी से फैल चुकी हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने निगम के अंदर के मतभेद और सत्ता के अंदर चल रही खींचतान को उजागर कर दिया है। जहां एक ओर निगम कमिश्नर की सख्त कार्रवाई जारी है, वहीं अब महापौर प्रतिनिधि का अपनी ही सरकार पर सवाल उठाना भाजपा संगठन के लिए सिरदर्द बन गया है।
अफसरशाही पर हमला या राजनीतिक रणनीति?
विवेक के लाइव बयान ने न सिर्फ पुलिस और निगम की कार्यशैली पर प्रश्न उठाए हैं, बल्कि यह भी संकेत दिया है कि भाजपा के भीतर निगम और संगठन के बीच खींचतान अब सतह पर आ चुकी है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह बयान कहीं महापौर की छवि को मुख्यमंत्री की नजरों में कमजोर करने की कोशिश तो नहीं? जो भी हो- वार्ड 74 का यह विवाद अब सिर्फ टैक्स वसूली या एफआईआर तक सीमित नहीं रहा। यह मामला अब इंदौर नगर निगम से निकलकर राजनीतिक गलियारों तक गूंज चुका है।
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