विक्रम मिश्र, लखनऊ. छठ पर्व के अवसर पर जहां लोग साफ और ताजी हवा में अर्घ्य देने की उम्मीद कर रहे थे, वहीं दिल्ली-एनसीआर का वायुमंडल अभी भी चिंता का कारण बना हुआ है, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताजा आंकड़ों के मुताबकि, दिल्ली का औसत AQI (Air Quality Index) 315 दर्ज किया गया, जो ‘बहुत खराब’ श्रेणी में आता है. नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद और फरीदाबाद में भी हवा की गुणवत्ता संतोषजनक नहीं हैं. नोएडा में AQI 331 दर्ज किया गया. जबकि दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में हवा की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है.
दिवाली के बाद पीएम 2.5 स्तर तीन गुना बढ़ा
CPCB के विश्लेषण के अनुसार, दिवाली के बाद दिल्ली-एनसीआर की हवा में पीएम 2.5 कणों का स्तर 488 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर तक पहुंच गया. जो पिछले पांच वर्षों में सबसे अधिक है. दिवाली से पहले यह स्तर औसतन 156.6 माइक्रोग्राम था. यानी त्योहार के बाद यह लगभग तीन गुना बढ़ा. 20 अक्टूबर की रात और अगले दिन सुबह हवा में जहरीले धुएं की मात्रा अपने चरम पर रही. पटाखों के फोड़ने, पराली जलाने और मौसम की स्थिर स्थिति के कारण हवा साफ नहीं हो सकी.
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मार्च 2026 तक शुरू होने की उम्मीद
दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण से निपटने के लिए अब टेक्नोलॉजी का सहारा लिया जा रहा है. नई योजना के तहत पूरे क्षेत्र में हाई-टेक एयर क्वालिटी सेंसर लगाए जाएंगे, जिनकी निगरानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) सिस्टम करेगा. दिल्ली में 250 से अधिक सेंसर लगाए जाएंगे, जो रीयल टाइम डेटा भेजेंगे और बताएंगे कि हवा कब, कहां और कितनी प्रदूषित है. यह सिस्टम IIT कानपुर के AI सेंटर द्वारा विकसित किया जा रहा है और योजना को मार्च 2026 तक शुरू किए जाने की उम्मीद है.
लोधी रोड (AQI 258) और मंदिर मार्ग ( AQI 290) जैसे हरे-भरे इलाकों में भी अब हवा की गुणवत्ता‘खराब’ श्रेणी में आ गई है. यह स्थिति उन लोगों के लिए खतरनाक है जो दमा, एलर्जी या हृदय संबंधी बीमारियों से जूझ रहे हैं. सरकार की ओर से लोगों को सलाह दी गई है कि सुबह-शाम बाहर टहलने से बचें और बच्चों और बुजुर्गों को घर के भीतर ही रखें. स्कूलों में भी प्रदूषण से बचाव के दिशा-निर्देश जारी किए जा रहे हैं.
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