Chhath Puja 2025: छठ पूजा, जिसे लोक आस्था का महापर्व कहा जाता है, केवल एक त्योहार नहीं है, बल्कि सदियों पुरानी परंपराओं, कठोर तपस्या और सूर्य की असीम ऊर्जा के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का एक अनूठा संगम है. ठेकुआ जैसे महाप्रसाद की घर में ही तैयारी की अनिवार्यता इस पर्व की पवित्रता का केवल एक हिस्सा है. इस चार दिवसीय व्रत से जुड़ी कुछ ऐसी बातें हैं, जो इसे अन्य हिंदू पर्वों से एकदम अलग और विशेष बनाती हैं.
Also Read This: छठ महापर्व: आज डूबते सूर्य को मिलेगा पहला अर्घ्य

- डूबते सूर्य को अर्घ्य: छठ दुनिया का एकमात्र प्रमुख त्योहार है जिसमें अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देकर जीवन के हर पक्ष और पल की समान महत्ता स्वीकार की जाती है.
- सूर्य देव की शक्तियों की पूजा: छठ में सूर्य के साथ उनकी पत्नियों ऊषा (भोर) और प्रत्यूषा (संध्या) की भी आराधना होती है, जो ऊर्जा का मुख्य स्रोत मानी जाती हैं.
- बिना पंडित के पूजा: इस व्रत में भक्त स्वयं विधि-विधान संपन्न करते हैं. कोई पुरोहित या पंडित आवश्यक नहीं होता; यह जन-जन की आस्था का प्रतीक है.
- वस्त्रों में पवित्रता: व्रती साधारण, बिना सिलाई की साड़ी या धोती पहनते हैं, जिससे शुद्धता और सादगी का भाव प्रकट होता है.
- ठेकुआ की अनूठी परंपरा: ठेकुआ महाप्रसाद है, जिसे पवित्र स्थान, मिट्टी के नए चूल्हे और आम की लकड़ी से बड़े शुद्ध भाव से घर पर ही बनाया जाता है. इसे बाजार से नहीं खरीदा जाता.
- प्रकृति और जल के प्रति आभार: छठ केवल सुख-समृद्धि के लिए नहीं, बल्कि प्रकृति, सूर्य और नदियों के प्रति धन्यवाद प्रकट करने और आत्मशुद्धि का पर्व भी है.
Also Read This: Chhath Puja 2025 : छठ पर्व का आज तीसरा दिन, डूबते सूर्य को दिया जाएगा अर्घ्य, जानिए शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- लल्लूराम डॉट कॉम की खबरें English में पढ़ने यहां क्लिक करें

