प्रमोद निर्मल, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी। शिक्षा का अधिकार कानून (RTE) सरकार की एक ऐसी पहल है जिसके तहत हर बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्राप्त है। लेकिन इस जनकल्याणकारी कानून को कुछ निजी स्कूलों ने पैसा कमाने का जरिया बना लिया है। ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है मोहला-मानपुर जिले में, जहाँ “फ्लॉवर वैली स्कूल” द्वारा आरटीई कानून का खुला उल्लंघन किए जाने के बावजूद जिला प्रशासन और कलेक्टर स्तर पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है।

तीन माह पहले उजागर हुआ था मामला, अब तक रिपोर्ट दबाई गई
जानकारी के अनुसार, मानपुर विकासखंड के ग्राम भर्रीटोला में संचालित निजी संस्था फ्लॉवर वैली स्कूल पर बिना मान्यता के स्कूल संचालन, आरटीई का दुरुपयोग, और जरूरतमंद पालकों से छलावा करने जैसे गंभीर आरोप लगे हैं । यह मामला तीन माह पूर्व मीडिया में प्रमुखता से उजागर हुआ था।
मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्कालीन जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) ने जनपद उपाध्यक्ष व ब्लॉक शिक्षा समिति अध्यक्ष देवानंद कौशिक के संज्ञान पर पाँच सदस्यीय जांच समिति गठित की थी। जांच समिति ने स्कूल की अनियमितताओं को प्रमाणित करते हुए अपनी रिपोर्ट दो माह पूर्व डीईओ कार्यालय को सौंप दी थी।
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, यह रिपोर्ट अब तक डीईओ कार्यालय में दबाकर रखी गई है, और किसी प्रकार की प्रशासनिक कार्रवाई नहीं की गई।
जांच रिपोर्ट में खुलासा : बिना मान्यता स्कूल संचालन, आरटीई के नाम पर फर्जीवाड़ा
विश्वसनीय सूत्रों के मुताबिक, जांच रिपोर्ट में यह पाया गया कि फ्लॉवर वैली स्कूल बिना मान्यता नवीनीकरण के कई वर्षों से संचालित हो रहा है। साथ ही, ऐसे बच्चों के नाम से आरटीई के तहत शासन से राशि प्राप्त की जा रही है, जो वास्तविकता में उक्त स्कूल में अध्ययनरत ही नहीं हैं।
यह भी सामने आया है कि कुछ बच्चे वर्षों पहले अन्य निजी या सरकारी स्कूलों में स्थानांतरित हो चुके हैं, फिर भी उनके नाम आरटीई पोर्टल में सक्रिय रखकर शासन से अनुदान राशि ली गई।
कलेक्टर को दिया गया ज्ञापन, फिर भी नहीं हुई कार्रवाई
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन ने भी इस मामले में जिला कलेक्टर को 17 सितंबर को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में स्पष्ट उल्लेख किया गया कि फ्लॉवर वैली स्कूल, मानपुर और भर्रीटोला, दोनों स्थानों पर फर्जी तरीके से आरटीई की राशि हड़पी जा रही है।
एसोसिएशन ने बच्चों की पूरी सूची के साथ प्रमाणिक दस्तावेज प्रस्तुत कर निष्पक्ष जांच और कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की थी। बावजूद इसके, डेढ़ माह बीत जाने के बाद भी न तो जांच प्रारंभ हुई और न ही कोई कार्रवाई हुई।


पूर्व डीईओ ने दबाई रिपोर्ट, नए डीईओ फिर से जांच की बात कह रहे
मामले की जांच रिपोर्ट जिस डीईओ के कार्यकाल में तैयार की गई थी, उनका हाल ही में तबादला हो गया है। अब नए डीईओ योगदास साहू ने पदभार संभाला है। जब उनसे इस प्रकरण पर सवाल किया गया, तो उन्होंने कहा- “मैं इस मामले की पुनः जांच करवाऊंगा। यदि पहले की रिपोर्ट उपलब्ध है तो उसके आधार पर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।”

हालांकि, शिक्षाविदों और अभिभावकों का कहना है कि पहले से तैयार रिपोर्ट पर फिर से जांच करवाने की बात करना हास्यास्पद है, जबकि तथ्य पहले से ही स्पष्ट हैं।
कलेक्टर की चुप्पी पर उठ रहे सवाल
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और शिक्षा क्षेत्र से जुड़े लोगों का कहना है कि कलेक्टर की चुप्पी और जिला प्रशासन की निष्क्रियता इस पूरे प्रकरण को संदेहास्पद बना रही है। सवाल उठ रहा है कि क्या आरटीई के नाम पर शासन को करोड़ों का चुना लगाने वाले स्कूल को जिला प्रशासन का संरक्षण प्राप्त है?
पालकों की मांग – तुरंत कार्रवाई हो, रिपोर्ट सार्वजनिक की जाए
छत्तीसगढ़ प्राइवेट स्कूल मैनेजमेंट एसोसिएशन और पालकों का कहना है कि शिक्षा के अधिकार कानून का ऐसा दुरुपयोग बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ है। जिला प्रशासन को चाहिए कि तुरंत जांच रिपोर्ट सार्वजनिक करे और फ्लॉवर वैली स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए शासन से प्राप्त राशि की वसूली सुनिश्चित करे।
आरटीई जैसे महत्वपूर्ण कानून को यदि प्रशासनिक उदासीनता और निजी संस्थानों की लालच की भेंट चढ़ा दिया गया, तो यह न केवल कानून का अपमान होगा बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी गहरा प्रहार होगा। अब देखना यह है कि मोहला-मानपुर जिला प्रशासन कानून का सम्मान करते हुए कार्रवाई करेगा या फिर यह मामला भी फाइलों में दबा रह जाएगा।
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