पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर महागठबंधन ने अपना घोषणा पत्र (Manifesto) जारी कर दिया है, लेकिन इसके जारी होते ही सियासी संग्राम तेज हो गया है। जहां महागठबंधन ने रोजगार, महिला सुरक्षा और सामाजिक न्याय के मुद्दों पर जनता को उम्मीदें दी हैं, वहीं एनडीए और जन सुराज के नेताओं ने इस घोषणा पत्र को झूठ का पुलिंदा और लोगों को गुमराह करने वाला दस्तावेज करार दिया है।
15 सालों में बिहार का प्राण ले लिया था
दरभंगा में जेडीयू के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा ने महागठबंधन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा 15 साल कितने लोगों के प्राण ले लिए थे, उन्हीं की पार्टी का शासन था। कितनों का अपहरण हुआ, कितनों का पलायन हुआ, कितनी जातीय हिंसा हुई। बिहार का प्राण ले लिया था उन्होंने। अब वे प्राण देकर क्या करेंगे?
राज्य को पीछे ले जाने की साजिश
संजय झा ने कहा कि नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार ने भय और अराजकता के दौर से निकलकर विकास का रास्ता अपनाया, और आज राज्य को पीछे ले जाने की साजिश महागठबंधन कर रहा है।
झूठ का पुलिंदा है
हाजीपुर में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने भी महागठबंधन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा आज घमंडिया गठबंधन का घोषणा पत्र जारी हुआ है। भ्रष्टाचार के आरोप में जिन पर दोष सिद्ध हो चुका है, वे कह रहे हैं कि हम भ्रष्टाचार मिटाएंगे! बिहार की जनता इतनी भोली नहीं है कि इन झूठों पर भरोसा करे। उन्होंने आगे कहा कि बिहार के लोग अब एनडीए, नरेंद्र मोदी, नीतीश कुमार, चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की जोड़ी पर भरोसा करते हैं। एनडीए ही बिहार को सुरक्षित और समृद्ध बना सकता है। महागठबंधन सिर्फ सत्ता पाने का सपना देख रहा है।
सत्ता में रहते जवाबदेही नहीं निभाई
पटना में केंद्रीय मंत्री और हम (से.) के नेता जीतन राम मांझी ने महागठबंधन के वादों को अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा उनकी क्या जवाबदेही है? अगर सत्ता में रहते तो बात अलग होती। अब तो जानते हैं कि सत्ता में नहीं आना है इसलिए वादों की लंबी सूची दे रहे हैं। 2004 के पहले उनके माता-पिता की सरकार थी,तब कितना पलायन रोका था?
मांझी ने कहा कि महागठबंधन के वादे जमीन पर उतरने लायक नहीं हैं और जनता अब पुराने वादों से ऊब चुकी है।
घोषणा पत्र साफ नीयत का प्रतीक
महागठबंधन की ओर से कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने एनडीए पर पलटवार करते हुए कहा कि घोषणा पत्र बिहार की जनता की पीड़ा और आकांक्षाओं का दस्तावेज है। उन्होंने कहा बिहार की राजधानी में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं, व्यापारी खुद को असुरक्षित महसूस करते हैं। अगर राजधानी की यह स्थिति है तो पूरे राज्य का हाल सोचिए। अगर नीयत साफ है तो सब कुछ संभव है यही हमारा घोषणापत्र दिखाता है। खेड़ा ने कहा कि एनडीए सरकार ने बिहार को बेरोजगारी और अपराध की दलदल में धकेल दिया है, जबकि महागठबंधन सुरक्षा, शिक्षा और रोज़गार पर ठोस काम करने की प्रतिबद्धता रखता है।
लोगों को बेवकूफ बनाने का जरिया
वहीं जन सुराज आंदोलन के संस्थापक प्रशांत किशोर ने भी महागठबंधन पर तीखी टिप्पणी की। उन्होंने कहा यह घोषणापत्र सिर्फ लोगों को बेवकूफ बनाने का जरिया है। असली लड़ाई एनडीए और जन सुराज के बीच है, महागठबंधन की कोई भूमिका नहीं रह गई है। पीके ने कहा कि जन सुराज ही बिहार के लिए नया विकल्प बनकर उभरेगा, क्योंकि जनता अब पुराने चेहरों से थक चुकी है।
सियासी माहौल हुआ गरम, जनता करेगी फैसला
महागठबंधन के घोषणा पत्र के बाद बिहार की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज हो गया है। जहां एक ओर एनडीए इसे छलावा बता रहा है, वहीं महागठबंधन इसे जनता की उम्मीदों का दस्तावेज कह रहा है अब देखना यह है कि बिहार की जनता किस पर भरोसा करती है पुराने चेहरों पर या नए वादों पर।
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