दिल्ली हाईकोर्ट(Delhi High Court) ने तिहाड़ जेल(Thihad Jail) के अंदर चल रहे कथित वसूली रैकेट पर कार्रवाई की धीमी रफ्तार को लेकर दिल्ली सरकार को कड़ी फटकार लगाई है। अदालत ने टिप्पणी की कि जेल अधिकारियों की मिलीभगत से कैदियों द्वारा चलाया जा रहा यह गिरोह गंभीर मामला है, लेकिन जांच की गति बेहद सुस्त दिख रही है। अदालत में बताया गया कि इस रैकेट में जेल प्रशासन के 9 अधिकारियों को निलंबित किया जा चुका है, लेकिन इसके बाद की जांच में कोई उल्लेखनीय प्रगति नहीं हुई। अदालत ने सरकार और जेल प्रशासन से सख्त लहजे में पूछा पिछले 2 महीने से आप क्या कर रहे हैं? जांच आगे क्यों नहीं बढ़ाई गई?
सुस्त कार्रवाई पर कोर्ट का गुस्सा
चीफ जस्टिस डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की बेंच ने 23 अक्टूबर को सरकार द्वारा दाखिल स्टेटस रिपोर्ट पर नाराजगी जताते हुए कहा कि केवल सस्पेंशन काफी नहीं है, जांच तेज होना जरूरी है। रिपोर्ट में बताया गया था कि 13 अगस्त को नौ जेल अधिकारियों को सस्पेंड किया गया, उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई पर विचार चल रहा है, और विजिलेंस विभाग से एक अधिकारी नियुक्त कर सभी के खिलाफ कॉमन जांच की जा रही है।
मुख्य न्यायाधीश डी.के. उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की बेंच ने सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार के वकील संजय लाउ से कठोर लहजे में पूछा “कुछ हो ही नहीं रहा। 13 अगस्त से अब तक कितनी प्रोग्रेस हुई है? पिछले दो महीनों में क्या कर रहे थे? जांच अधिकारी नियुक्त करने में कितना वक्त लगता है? चाहे तो रातोंरात हो जाए, न चाहो तो महीनों लटकता रहेगा।” अदालत ने स्पष्ट कहा कि केवल सस्पेंशन दिखावा नहीं होना चाहिए, अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू होने के बाद उसे जल्द निपटाया जाए, किसी को सस्पेंड करके जांच को ठंडे बस्ते में डाल देना बिल्कुल स्वीकार्य नहीं बेंच ने यह भी जोड़ा: “ऐसी लापरवाही हमें पसंद नहीं। गड़बड़ी की जांच होनी ही चाहिए।”
अगली सुनवाई में बड़ा अधिकारी पेश होगा
कोर्ट ने दिल्ली सरकार के गृह विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को अगली सुनवाई की तारीख 30 अक्टूबर को वर्चुअली उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। यह मामला मोहित कुमार गोयल द्वारा दायर याचिका से संबंधित है। गोयल, जो धोखाधड़ी के एक मामले में गिरफ्तार हुए थे और बाद में जमानत पर रिहा हो गए, ने याचिका में आरोप लगाया कि तिहाड़ जेल के अंदर कैदियों से वसूली का नेटवर्क बेखौफ तरीके से चलाया जा रहा है। उन्होंने इस नेटवर्क की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है। इसी याचिका पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सितंबर 2024 में जेल परिसर का निरीक्षण (इंस्पेक्शन) कराने का आदेश दिया था।
जेल की गंदी सच्चाई उजागर
7 अप्रैल को जेल के इंस्पेक्टिंग जज द्वारा दायर रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ था। रिपोर्ट में बताया गया कि तिहाड़ जेल का लैंडलाइन नंबर ही वसूली रैकेट का हिस्सा बना हुआ था। कैदियों को फोन की सुविधा देने के नाम पर कथित रूप से पैसे लेकर कॉल्स करवाई जा रही थीं और इसमें जेल स्टाफ की मिलीभगत सामने आई। रिपोर्ट में प्रणालीगत लापरवाही और गंभीर अनियमितताएं दर्ज की गईं। इस खुलासे के बाद, 2 मई को हाईकोर्ट ने CBI को प्रीलिमिनरी इंक्वायरी (PE) शुरू करने का आदेश दिया था और दिल्ली सरकार को दोषी अधिकारियों की पहचान कर कार्रवाई करने को कहा था।
इसके बाद 11 अगस्त को अदालत ने CBI को इस मामले में FIR दर्ज करने का निर्देश दिया। कोर्ट ने यह भी टिप्पणी की कि जेल में सभी कैदियों को समान और बुनियादी सुविधाएं मिलनी चाहिए, लेकिन यहां पैसे, पहुंच और रसूख वाले कैदियों को अवैध विशेष फायदे प्राप्त हो रहे हैं, जो कानून के सिद्धांतों के बिल्कुल विपरीत है।
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