रायपुर। छत्तीसगढ़ किसान सभा ने केंद्र की मोदी सरकार द्वारा रबी फसलों के समर्थन मूल्यों में 4% से 7% तक की गई वृद्धि को अपर्याप्त बताते हुए कहा है कि इससे फसलों के सी-2 लागत मूल्य की भी भरपाई नहीं होती. छत्तीसगढ़ किसान सभा (CGKS) ने इसे किसानों के साथ धोखाधड़ी करार दिया है.
गुरुवार को जारी एक बयान में छग किसान सभा के अध्यक्ष संजय पराते और महासचिव ऋषि गुप्ता ने कहा है स्वामीनाथन आयोग की सी-2 लागत पर समर्थन मूल्य की सिफारिशों के अनुसार गेहूं और चना का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7375 रुपये और 2925 रुपये प्रति क्विंटल बनता है, जबकि घोषित मूल्य इसका दो-तिहाई ही है और ये समर्थन मूल्य कृषि लागत एवं मूल्य आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से भी कम है.
उन्होंने कहा कि बाजार में सरकारी खरीदी की व्यवस्था न होने से किसानों को इस मूल्य से भी कम में बेचना पड़ेगा और वे पूरी तरह से घाटे की खेती कर रहे होंगे. इससे किसानों की आय दुगुनी करने के सरकार के दावे की भी कलई खुल जाती है. किसान सभा नेताओं ने रोष प्रकट किया है कि जब बाजार में खुदरा महंगाई वृद्धि की दर 10% चल रही हो, यह समर्थन मूल्य महंगाई में हुई बढ़ोतरी की भी भरपाई नहीं करती. इससे किसानों के जीवन स्तर में बड़ी भारी गिरावट आएगी.