दिल्ली में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन (DMRC) ने बड़ा कदम उठाया है। DMRC ने घोषणा की है कि सप्ताह के कार्यदिवसों में मेट्रो के 40 अतिरिक्त फेरे चलाए जाएंगे। इसका उद्देश्य लोगों को निजी वाहनों की जगह मेट्रो को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना है ताकि सड़क पर वाहनों की संख्या कम हो और प्रदूषण पर नियंत्रण लाया जा सके। DMRC ने कहा कि यदि शहर में प्रदूषण की स्थिति और बिगड़ती है और GRAP-III (Graded Response Action Plan) लागू किया जाता है, तो इन अतिरिक्त फेरों की संख्या को बढ़ाकर 60 तक किया जाएगा।

DMRC की ओर से जारी बयान में बताया गया कि DMRC के प्रबंध निदेशक डॉ. विकास कुमार ने नागरिक एजेंसियों और पर्यावरण विभाग के अधिकारियों के साथ मिलकर धूल प्रदूषण नियंत्रण उपायों की समीक्षा की। इसके लिए उन्होंने निर्माणाधीन कृष्णा पार्क एक्सटेंशन–आरके आश्रम मार्ग मेट्रो कॉरिडोर के साथ उत्तरी दिल्ली के अशोक विहार और डेरावाल नगर क्षेत्रों का स्थल निरीक्षण किया।

कुमार ने कहा कि यदि GRAP-III की पाबंदियां लागू होती हैं, तो मेट्रो के अतिरिक्त फेरों की संख्या 40 से बढ़ाकर 60 की जा सकती है। DMRC ने बताया कि जिन स्थानों पर निर्माण और तोड़फोड़ का कार्य चल रहा है, वहां धूल और वायु प्रदूषण को कम करने के लिए लगातार पानी का छिड़काव किया जा रहा है तथा निर्माण संबंधी कचरे का सुरक्षित निपटान सुनिश्चित किया जा रहा है। इसके अलावा, मिट्टी और धूल उड़ने से रोकने के लिए निर्माण स्थलों से निकलने वाले भारी वाहनों के पहियों की धुलाई अनिवार्य कर दी गई है। साथ ही ऐसे सभी निर्माण स्थलों पर एंटी-स्मॉग गन लगाई गई हैं, जो हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को कम करने में मदद करती हैं।

DMRC के अनुसार, वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की उन पहली निर्माण एजेंसियों में शामिल रही है, जिसने एंटी-स्मॉग गन को अनिवार्य किए जाने से पहले ही इनके उपयोग की शुरुआत कर दी थी। वर्तमान में DMRC के सभी निर्माण स्थलों पर करीब 82 एंटी-स्मॉग गन तैनात हैं। साथ ही, आवश्यकता पड़ने पर इनकी संख्या और बढ़ाई जाएगी ताकि निर्माण गतिविधियों के दौरान धूल और हवा में मौजूद प्रदूषक कणों को नियंत्रित किया जा सके।

DMRC ने बताया कि वह दीर्घकालिक पर्यावरणीय पहलों पर भी काम कर रहा है। इसके तहत मेट्रो के चौथे चरण में घंटाघर और पुल बंगश के भूमिगत स्टेशनों के निर्माण के दौरान निकाले गए पानी को पाइपलाइन के माध्यम से रोशनआरा बाग झील तक पहुंचाकर उसके पुनरुद्धार में उपयोग किया गया।

एजेंसी ने यह भी बताया कि ब्लू लाइन का यमुना बैंक से वैशाली तक का सेक्शन और मेट्रो भवन स्थित DMRC का कॉर्पोरेट मुख्यालय को कार्बन न्यूट्रल घोषित किया जा चुका है। साथ ही, शहर में हरित क्षेत्र बढ़ाने के लिए DMRC ने मियावाकी तकनीक से घनी शहरी वनीकरण परियोजना भी शुरू की है। इस पद्धति के जरिए नजफगढ़ मेट्रो डिपो और मेट्रो निकेतन आवासीय परिसर के पास लगभग 1.2 एकड़ क्षेत्र में 12,500 से अधिक पौधे लगाए गए हैं।

ऊर्जा एवं संसाधन संस्थान द्वारा ‘दिल्ली मेट्रो के सामाजिक-आर्थिक लाभ’ पर किए गए एक अध्ययन में इस नेटवर्क के पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभाव पर प्रकाश डाला गया है। अध्ययन में पाया गया कि साल 2024 में, दिल्ली मेट्रो ने प्रतिदिन 6.4 लाख से अधिक वाहनों को सड़कों से दूर रखने में मदद की, जिससे प्रति वर्ष लगभग 3.11 लाख टन ईंधन की खपत और लगभग 9.52 लाख टन प्रदूषकों में कमी आई, साथ ही प्रति वर्ष लगभग 337 मिलियन यात्री घंटों की बचत भी हुई। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि मेट्रो संचालन से वर्ष भर में 14 घातक दुर्घटनाओं और कुल 60 दुर्घटनाओं को रोकने में मदद मिली।

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