Delhi High Court News: दिल्ली हाई कोर्ट में सोमवार को जस्टिस तारा विस्ता गंजू अपनी फेयरवेल स्पीच के दौरान अपनी बेटी को रोते हुए देख भावुक हो गईं. जब वह अपनी मां और बेटी को उनके पूरे करियर में उनके सहयोग के लिए थैंक्यू बोल रही थीं, तभी जस्टिस गंजू ने अपनी बेटी को रोते हुए देखा.

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस तारा विस्ता गंजू ने बेटी को शांत करने के लिए कहा, “अगर तुम रोओगी, तो मैं भी रोऊंगी.” सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इस साल अगस्त में दिल्ली हाई कोर्ट की जस्टिस गंजू और अरुण मोंगा के ट्रांसफर की सिफारिश की थी. केंद्र सरकार ने जस्टिस गंजू को कर्नाटक हाई कोर्ट और अरुण मोंगा को राजस्थान हाई कोर्ट में ट्रांसफर की अधिसूचना जारी की.

कई बार आलोचनाओं का सामना करना पड़ा- जस्टिस गंजू

अपनी फेयरवेल स्पीच में जस्टिस गंजू ने कहा कि अचानक घटी घटनाओं की वजह से उनका पूरा परिवार समारोह में शामिल नहीं हो सका. उन्होंने बताया कि कई बार देर रात तक काम करने के कारण उन्हें आलोचना का सामना करना पड़ा. जस्टिस गंजू ने कहा, “मुझे पता है कि देर रात तक या वीकेंड में काम करने से कई बार आलोचना या गलतफहमी हुई है, फिर भी मैंने कभी भी परिश्रम को दोष नहीं माना. न्याय की मांग हमेशा समय के अनुसार नहीं होती और हमारा सबसे पहला कर्तव्य राष्ट्र और उन मुकदमों के प्रति होना चाहिए जो हमसे राहत चाहते हैं. व्यक्तिगत सुख या यहां तक कि अस्वीकृति की संभावना भी न्याय के प्रति हमारे दायित्व से ज्यादा नहीं हो सकती.”

अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की जज का किया जिक्र

जस्टिस तारा विस्ता गंजू ने कहा कि अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट की जज रूथ बेडर गिन्सबर्ग ने उन्हें उन चीजों के लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया जिनकी आप परवाह करते हैं, लेकिन इसे इस तरह से करें कि अन्य लोग भी आपके साथ जुड़ें. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली हाई कोर्ट ने कानून और न्याय के बारे में उनकी समझ को आकार दिया.

युवा वकीलों को दी सलाह

युवा वकीलों को सलाह देते हुए, जस्टिस गंजू ने उनसे अनुशासन, विनम्रता और धैर्य बनाए रखने का आग्रह किया. उन्होंने कहा कि एक वकील की असली पहचान उसके द्वारा लड़े गए मामलों की संख्या से नहीं, बल्कि “निष्पक्षता और गरिमा के साथ” उन्हें संचालित करने से होती है.

कौन हैं जस्टिस तारा वितस्ता गंजू?

जस्टिस तारा वितस्ता गंजू का जन्म 1971 में नई दिल्ली में हुआ था. वे पहली पीढ़ी की वकील हैं. उन्होंने 1992 में लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान में स्नातक (ऑनर्स) और 1995 में दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल की. 1999 में ब्रिटिश चिवनिंग स्कॉलरशिप के तहत इंग्लैंड के यॉर्क स्थित कॉलेज ऑफ लॉ से कॉमर्शियल लॉ का कोर्स पूरा किया और 2005 में अंतरराष्ट्रीय अधिग्रहण और विलय में डिप्लोमा प्राप्त किया. इसके अलावा 2018 में उन्हें दिल्ली हाई कोर्ट के “समाधान” केंद्र से मध्यस्थ (Mediator) के रूप में प्रमाणित किया गया था और उन्होंने अमेरिका के पेपरडाइन लॉ स्कूल में अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भी भाग लिया.

न्यायिक यात्रा और उपलब्धियां

बेंच पर आने से पहले जस्टिस गंजू ने दिल्ली हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में सिविल, आर्बिट्रेशन, कंपनी, आपराधिक और बौद्धिक संपदा से जुड़े मामलों की पैरवी की. वे कई संस्थाओं की कानूनी सलाहकार रही हैं और अदालतों में मध्यस्थ, पंच तथा अमाइकस क्यूरी (न्यायिक सहायक) के रूप में भी सेवा दी है. वे “वीमेन इन लॉ एंड लिटिगेशन (WILL)” एसोसिएशन की कार्यकारी सदस्य भी रही हैं. उन्हें 18 मई 2022 को दिल्ली हाई कोर्ट की स्थायी न्यायाधीश नियुक्त किया गया था और अब 28 अक्टूबर 2025 को कर्नाटक हाई कोर्ट में स्थानांतरित होकर उन्होंने पद की शपथ ली. उनकी यह नई यात्रा न्यायिक क्षेत्र में उनके अनुभव और समर्पण की नई दिशा तय करेगी.

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