वीरेन्द्र गहवई, बिलासपुर. भारत के आठवीं अनुसूची में दर्ज भाषाओं के अलावा बोली जाने वाली क्षेत्रीय बोली को भी राष्ट्रीय फिल्म अवार्ड में स्थान दिया जाएगा. 72 वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार के लिए नियमों में संशोधन हो जाने से अब भाषा में बनी फिल्म पर राष्ट्रीय पुरूस्कार मिलेगा. हालांकि इसके लिए उन्हें राज्य के गृह सचिव या कलेक्टर से पत्र लिखवाकर उसे बोली के प्रचलन के बारे में पत्र देना होगा. छत्तीसगढ के कलाकार अखिलेश पांडेय ने बताया कि राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में ऐतिहासिक बदलाव किया गया है, जिससे अब भारत में बनने वाले विभिन्न बोली की फिल्मों को भी राष्ट्रीय अवार्ड में जगह मिलेगी.
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उन्होंने बताया कि जब उनका नाम राष्ट्रीय अवार्ड में सम्मिलित नहीं किया गया, तब वह काफी दुखी हुए थे और उन्होंने इस लड़ाई को लड़ने के लिए प्रण लिया और उन्होंने प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और सूचना एवं प्रसारण मंत्री को पत्र लिखकर सूचित भी किया और उनके इस पत्र ने एक ऐतिहासिक बदलाव हुआ है। दरअसल, संपूर्ण भारत में ऐसी बहुत सी भाषाएं हैं, जिनमें फिल्में बनती हैं लेकिन आठवीं अनुसूची में दर्ज न होने की वजह से उन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार में सम्मिलित नहीं किया जाता. इससे वहां के कलाकार राष्ट्रीय पहचान से दूर रहते हैं अखिलेश के इस प्रयास ने संपूर्ण भारत के क्षेत्रीय कलाकारों को अपनी पहचान बनाने का एक नए अवसर दिया है.

आठवीं अनुसूची में दर्ज न होने की वजह से छत्तीसगढ़ी में बनी उनकी फिल्म को राष्ट्रीय अवार्ड नहीं मिला तब अखिलेश पांडेय ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखी. जिसमें बताया गया कि उनकी फिल्म ने पूरी दुनिया में 63 से ज्यादा अवार्ड जीते हैं और उनके फिल्म का नाम गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज है. उसके बाद भी फिल्म को राष्ट्रीय अवार्ड में जगह नहीं दी गई. उसके बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को उनका पत्र भेजा, जिसके बाद नियमों में संशोधन किया गया.
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