घाटशिला विधानसभा उपचुनाव 2025 के पहले झारखंड की राजनीति में गुरुवार को बड़ा बदलाव देखने को मिला, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पूर्वी सिंहभूम जिले में जोरदार झटका लगा। जिले के कई वरिष्ठ पदाधिकारी और प्रभावशाली नेताओं ने भाजपा का साथ छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की सदस्यता ग्रहण की।

उपचुनाव से पहले झामुमो का मनोबल बढ़ा

राजनीतिक गलियारों में इस घटना को आगामी घाटशिला विधानसभा उपचुनाव से पहले झामुमो के लिए बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम माना जा रहा है। झामुमो की सदस्यता ग्रहण करने वालों में पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद के उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, भाजपा के पूर्व जिला अध्यक्ष (ग्रामीण) सह प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य सौरभ चक्रवर्ती, जिला परिषद सदस्य खगेन महतो, घाटशिला भाजपा मंडल अध्यक्ष कौशिक सिन्हा, मुसाबनी के पूर्व मंडल अध्यक्ष तुषार पात्रों, भाजपा मीडिया प्रभारी सुरेश महाली और जमशेदपुर के प्रसिद्ध जंबू अखाड़ा अध्यक्ष बंटी सिंह का नाम प्रमुख है। इनके साथ कई अन्य स्थानीय नेता और कार्यकर्ता भी झामुमो में शामिल हुए।

बीजेपी को नहीं थी जानकारी

पांचों नेता गुरुवार की दोपहर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के कांके रोड स्थित आवासीय कार्यालय पहुंचकर झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता सह पूर्व विधायक कुणाल सारंगी, जिला परिषद अध्यक्ष बारी मुर्मू की उपस्थिति में झारखंड मुक्ति मोर्चा पार्टी की सदस्यता ग्रहण की. भारतीय जनता पार्टी को इसका आभास भी नहीं था कि उसके पांच नेता बाकी हो चुके हैं.

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं के द्वारा सोशल मीडिया के माध्यम से बीजेपी के पांच नेताओं के झामुमो में शामिल होने की आधिकारिक पुष्टि की गई. इसके बाद आनन-फ़ानन में बीजेपी पार्टी विरोधी गतिविधि में शामिल होने के आरोप में पांचों नेताओं को निष्कासित करने का प्रेस नोट जारी कर डैमेज कंट्रोल में जुट गई.

घाटशिला उपचुनाव पर क्या प्रभाव पड़ेगा?

पांचों नेताओं का प्रभाव पूर्वी सिंहभूम क्षेत्र में है. इन नेताओं में पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद के उपाध्यक्ष पंकज सिन्हा, बीजेपी के पूर्व जिला अध्यक्ष ग्रामीण और प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सौरभ चक्रवर्ती के अलावा घाटशिला बीजेपी मंडल के अध्यक्ष कौशिक सिन्हा भी शामिल है.

यह नेता ऐसे थे जो घाटशिला में भारतीय जनता पार्टी प्रत्याशी की जीत कैसे सुनिश्चित हो इसके रणनीतिकार थे. घाटशिला में आदिवासी और पिछड़ा वर्ग के वोटर्स निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में इन नेताओं का झारखंड मुक्ति मोर्चा में शामिल होना बीजेपी के बड़े वोट बैंक को प्रभावित कर सकता है.

वहीं राजनीतिक जानकारों की मानें तो प्रत्याशी चयन को लेकर भी अंदर खाने भारतीय जनता पार्टी में नाराजगी थी. इन कारणों से भी यह पांच पूर्वी सिंहभूम के मजबूत स्तंभ का बीजेपी से मोह भंग हो गया था और धीरे-धीरे यह झारखंड मुक्ति मोर्चा के संपर्क में आ गए थे.

भारतीय जनता पार्टी के अंदर हुई बगावत को जहां एक तरफ बीजेपी के नेता पार्टी विरोधी कार्यो में संलिप्त बता रहे हैं लेकिन अंदर खाने यह चर्चा है कि प्रत्याशी चयन में कार्यकर्ताओं की रायसुमारी नहीं की गई थी, जिसका यह बड़ा इंपैक्ट है और चुनाव को काफी हद तक प्रभावित करेगा.

जो भी नेता भारतीय जनता पार्टी छोड़ झारखंड मुक्ति मोर्चा का सदस्यता ग्रहण किए हैं उनकी स्थानीय और जमीनी स्तर पर काफी मजबूत पकड़ है. कह सकते हैं कि झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्यमंत्री हेमंत ने भारतीय जनता पार्टी के अंदर घुसकर पांच नेताओं को तोड़कर डायरेक्ट स्ट्राइक किया है.

बता दें कि घाटशिला उपचुनाव झारखंड मुक्ति मोर्चा और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ ही साथ पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के लिए प्रतिष्ठा की सीट हो गई है. जहां भारतीय जनता पार्टी ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को उतारा है तो वहीं झारखंड मुक्ति मोर्चा से दिवंगत शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बेटे सोमेश चंद्र सोरेन अपनी किस्मत आजमा रहे हैं.

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