रायपुर। छत्तीसगढ़ की धरती ने हमेशा ऐसे व्यक्तित्वों को जन्म दिया है जिन्होंने अपने कर्म, दृष्टिकोण और मूल्यों से राज्य ही नहीं, देश का नाम रोशन किया है. इन्हीं में एक नाम है कमल किशोर सारडा, जिन्होंने उद्योग, समाज और पर्यावरण, तीनों के बीच एक अद्भुत संतुलन स्थापित किया. 1 नवम्बर 2025 को न्यूज 24 पर लल्लूराम डॉट कॉम और न्यूज 24 के सलाहकार संपादक संदीप अखिल से कार्यक्रम The Bussiness Leader में उनसे हुई बातचीत के दौरान उन्होंने अपने जीवन, संघर्ष और उस सोच पर विस्तार से चर्चा की जिसने उन्हें एक सच्चा समाजसेवी उद्योगपति बनाया.

संस्कारों की मिट्टी से बना  व्यक्तित्व

        कमल किशोर सारडा ने अपने साक्षात्कार के दौरान बताया कि उनका जन्म 12 जून 1952 को राजनांदगाँव में  एक संस्कारी मारवाड़ी महेश्वरी परिवार में हुआ था और वही वे पले-बढ़े.  कमल सारडा के जीवन में अनुशासन, परिश्रम और ईमानदारी उन्हें संस्कार से मिले हैं.1974 में उन्होंने नागपुर के विश्वेश्वरैया रीजनल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और फिर परिवार के पारंपरिक व्यवसाय से जुड़ गए. उन्होंने न केवल व्यवसायिक प्रबंधन की औपचारिक शिक्षा ली, बल्कि अहमदाबाद के आईआईएम से स्ट्रेटेजिक मैनेजमेंट और ज़ेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, जमशेदपुर से लीडरशिप व स्पिरिचुअलिटी पर विशेष कोर्स कर अपनी दृष्टि को और व्यापक बनाया.

संघर्ष से सफलता तक का औद्योगिक सफर

कमल सारडा ने 1978-79 में रायपुर की संघर्षरत इकाई रायपुर वायर्स एंड स्टील की बागडोर संभाली. उस समय यह यूनिट घाटे में थी और 500 परिवारों की आजीविका खतरे में थी. कमल सारडा ने अपनी दूरदृष्टि, प्रबंधन कौशल और मानवीय संवेदना से इस इकाई को न केवल लाभकारी बनाया, बल्कि इसे आगे चलकर सारडा एनर्जी एंड मिनरल्स लिमिटेड (SEML) में रूपांतरित किया.आज SEML भारत की सबसे कम लागत में स्टील उत्पादन करने वाली अग्रणी कंपनियों में से एक है — यह केवल आर्थिक सफलता नहीं बल्कि संवेदनशील नेतृत्व की मिसाल भी है.

खनन, ऊर्जा और आत्मनिर्भर औद्योगिक विस्तार

कमल सारडा ने अपने समूह को बहुआयामी औद्योगिक रूप देने के लिए खनन, ऊर्जा और अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय विस्तार किया.राजनांदगाँव में उनका 1.5 MTPA क्षमता का लौह अयस्क खदान, रायगढ़ में 1.8 MTPA और मध्यप्रदेश के शाहडोल में 0.60 MTPA क्षमता वाला कोयला खदान — समूह की मजबूती का प्रमाण है. रायगढ़ का 600 MW थर्मल पावर प्लांट, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और सिक्किम में 142 MW क्षमता के हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट, और खरौरा स्थित 2 MW का सौर संयंत्र (जो जल्द ही 50 MW बनने जा रहा है)— ये सब मिलकर सारडा ग्रुप को एकीकृत औद्योगिक समूह बनाते हैं, जो ‘माइन टू मेटल’ की परिकल्पना को साकार करता है.

पर्यावरण के प्रति संवेदनशील दृष्टि

साक्षात्कार के दौरान जब उनसे पर्यावरण संरक्षण पर पूछा गया, तो कमल सारडा ने कहा —“उद्योग तभी सफल है जब वह धरती का ऋणी न बने, बल्कि उसे समृद्ध करे.”उनके इस दर्शन का प्रमाण है उनकी 1200 एकड़ बंजर भूमि को हरियाली से भर देने की पहल. खरौरा क्षेत्र में उन्होंने लाखों नीलगिरी के पेड़ लगवाए, जिससे न केवल भूमि उपजाऊ बनी, बल्कि आसपास के ग्रामीणों को सब्ज़ी और कृषि उत्पादन का नया साधन मिला. इतना ही नहीं, 200 एकड़ खनन भूमि को पुनः जंगल में परिवर्तित कर उन्होंने यह सिद्ध किया कि “विकास और पर्यावरण विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं.”

किसानों और ग्रामीणों के जीवन में सुधार — ‘वचन’ का संकल्प

कमल सारडा की समाज सेवा की भावना केवल CSR तक सीमित नहीं है. उन्होंने ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने के लिए “वचन डेयरी” की स्थापना की, जो प्रतिदिन 75,000 लीटर दूध 350 संग्रह केंद्रों से एकत्र करती है.इससे हजारों किसानों को स्थायी आमदनी का स्रोत मिला. वचन डेयरी न केवल दूध खरीदती है, बल्कि पशुओं के लिए मुफ्त चिकित्सा, सस्ता चारा और डेयरी प्रशिक्षण भी उपलब्ध कराती है.
कमल सारडा का कहना है —“हमारा लक्ष्य सिर्फ उद्योग चलाना नहीं, बल्कि गाँवों की आर्थिक रीढ़ को मज़बूत बनाना है.”

शिक्षा-समाज सुधार का आधार

कमल सारडा शिक्षा को समाज परिवर्तन का सबसे शक्तिशाली माध्यम मानते हैं. उन्होंने 50 आदिवासी शिक्षकों का वेतन प्रायोजित कर आदिवासी अंचलों में शिक्षा की पहुँच बढ़ाई.
उनके समूह द्वारा संचालित आर.के. सारडा विद्या मंदिर, आर.के. सारडा विद्या आश्रम, और संदीपनी विद्या मंदिर में लगभग 3000 विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.
उनकी यह पहल ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों में शिक्षा के प्रकाश स्तंभ के रूप में देखी जाती है.

सामाजिक सरोकारों से गहरा जुड़ाव

पिता की प्रेरणा से कमल सारडा का समूह शिक्षा, स्वास्थ्य, खेल, संस्कृति और पर्यावरण संरक्षण जैसे क्षेत्रों में सक्रिय रूप से CSR गतिविधियाँ संचालित करता है.
वे अक्षय पात्र फाउंडेशन, इशा फाउंडेशन, फ्रेंड्स ऑफ ट्राइबल सोसायटी, बालको मेडिकल सेंटर, एनएच एमएमआई नारायणा सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, और श्री राम किशोर सारडा सेवा ट्रस्ट से जुड़े हुए हैं.
साक्षात्कार में उन्होंने कहा —“जब किसी बच्चे को शिक्षा मिलती है, किसी मरीज़ को इलाज, और किसी किसान को आत्मनिर्भरता — तभी उद्योग का अर्थ पूरा होता है.”साथ ही, उन्होंने लोहम और मोकाबारा जैसे स्टार्टअप्स में निवेश कर युवाओं में नवाचार की भावना को प्रोत्साहित किया.

नेतृत्व और संगठनात्मक भूमिकाएं

कमल सारडा ने अनेक प्रतिष्ठित औद्योगिक संगठनों में नेतृत्व की भूमिका निभाई है. वे वर्ष 1982-83 में छत्तीसगढ़ फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीज़ के अध्यक्ष, 1992-96 तक आईडीबीआई एडवाइजरी बोर्ड (मुंबई) के सदस्य, 1996 में स्टील फर्नेस एसोसिएशन ऑफ इंडिया के चेयरमैन,2005-06 में सीआईआई छत्तीसगढ़ चैप्टर के चेयरमैन रहे और  साल 2009 से अब तक वे भारतीय विद्या भवन, रायपुर केंद्र के चेयरमैन हैं — जहाँ से शिक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में प्रेरणादायी कार्य हो रहे हैं.


व्यक्तिगत जीवन और विचारधारा

कमल सारडा योग, प्राणायाम और विपश्यना ध्यान के नियमित साधक हैं. संगीत सुनना, पुस्तकें पढ़ना और नए स्थानों की यात्रा करना उन्हें आत्मिक संतुलन देता है.वे अपने संगठन में परिवार-जैसा वातावरण बनाए रखने में विश्वास रखते हैं. उनका सिद्धांत है कि “कर्मचारी मातहत नहीं, सहकर्मी होते हैं.”उन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को भी यही संस्कार दिए हैं कि वे कर्मचारियों के साथ सम्मान और समानता का व्यवहार करें.

कमल किशोर सारडा ने यह सिद्ध कर दिखाया है कि उद्योग केवल लाभ कमाने का साधन नहीं, बल्कि समाज और प्रकृति के प्रति कर्तव्य निभाने का माध्यम भी हो सकता है.
वे आज छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरे देश के लिए एक प्रेरणास्रोत हैं — एक ऐसे उद्योगपति जो उद्योग में नैतिकता, समाज में सेवा और पर्यावरण में संवेदना का त्रिवेणी संगम बन चुके हैं.

संदीप अखिल के शब्दों में

“कमल सारडा जैसे व्यक्तित्व यह याद दिलाते हैं कि भारत के औद्योगिक भविष्य को संवेदनशीलता, समर्पण और संतुलन की जरूरत है. उन्होंने यह संतुलन न केवल अपने उद्योग में, बल्कि अपने जीवन में भी साधा है.”

कमल किशोर सारडा- एक नाम जो उद्योग को मानवीयता से जोड़ते हैं और हर उस भारतीय के लिए प्रेरणा है जो अपनी सफलता को समाज की सेवा से जोड़ना चाहते हैं.