रामलीला और उसके कलाकारों को लेकर पूर्व सीएम हरीश रावत ने सरकार से मांग की है. उन्होंने रामलीला के अलग-अलग तर्जों को संरक्षितर करने के उद्देश्य से सरकार से योजनाएं चलाने और उन्हें प्रोत्साहित करने की मांग की है. साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि सरकार को ऐसे प्रयास करने चाहिए कि ये विधा और आगे बढ़े.
हरीश रावत ने कहा कि ‘जब बात रामलीलाओं की चली है तो रामलीला का तर्ज भी बहुत महत्वपूर्ण हो गया है. उत्तराखण्ड के ग्रामीण क्षेत्रों में 3-4 तर्जों पर रामलीला होती है. पहली भीमताली तर्ज है, दूसरी रुद्रप्रयाग क्षेत्र में जिस तर्ज पर संवाद होते हैं वह तर्ज है. तो इन तर्जों के भी उस्ताद होते हैं जो रामलीला से पूर्व पात्रों से एक-डेढ़ महीने पहले अभ्यास कराया जाता है, तब उसमें वह लय, माधुर्य और वह शब्दों के भाव आते हैं. इसलिए उस्तादगणों को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की जरूरत है.’
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रावत ने आगे कहा कि ‘अब कितने रह गए हैं, मुझे नहीं मालूम है. हमने उनको भी कलाकारों के तरीके से पेंशन के दायरे में लाये थे, अब क्या स्थिति है? मुझे मालूम नहीं है. मगर इन तर्ज़ों को संरक्षित करने के लिए राज्य के संस्कृति विभाग को काम करना चाहिए और ऐसे उस्तादों को चिन्हित करके उन्हें प्रोत्साहित किया जाना चाहिए और यह कोशिश होनी चाहिए कि उनसे वह विधा और ज्यादा आगे बढ़े. AI के इस युग में यह अत्यधिक महत्वपूर्ण हो गया है. आने वाली पीढ़ियों को इस बात का ज्ञान भी नहीं रह जाएगा कि कभी हमारे उत्तराखण्ड में इन तर्ज़ो पर रामलीला भव्य आयोजन होता था.’
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