Indian Rupee vs US Dollar: भारतीय रुपया एक बार फिर डॉलर के सामने झुक गया. सोमवार की सुबह बाजार खुलते ही करेंसी मार्केट में हलचल मच गई. रुपया 7 पैसे फिसलकर 88.77 पर आ गया. यह गिरावट मामूली दिखती है, लेकिन इसके पीछे कई वैश्विक और घरेलू झटके छिपे हैं.
विदेशी मुद्रा डीलरों का कहना है कि कच्चे तेल की कीमतों में तेजी, विदेशी निवेशकों की बिकवाली और वैश्विक व्यापारिक तनाव ने मिलकर रुपये की मजबूती पर ब्रेक लगा दिया.
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डॉलर के मुकाबले रुपये की फिसलन क्यों बढ़ी?
अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय (Forex Market) में सोमवार को रुपया 88.73 पर खुला था. लेकिन कुछ ही देर में यह 88.77 तक गिर गया, जो शुक्रवार के बंद स्तर से 7 पैसे कमजोर रहा.
पिछले हफ्ते भी रुपये ने लगातार कमजोरी दिखाई थी. फेडरल रिजर्व (US Fed) की नीति पर आई टिप्पणियों के बाद गुरुवार को 47 पैसे और शुक्रवार को 1 पैसा कमजोर होकर 88.70 पर बंद हुआ था.
वैश्विक बाजारों का असर: डॉलर इंडेक्स और क्रूड ऑयल (Indian Rupee vs US Dollar)
डॉलर इंडेक्स, जो छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले डॉलर की स्थिति को मापता है, थोड़ा नरम होकर 0.04% गिरकर 99.59 पर आ गया. फिर भी अमेरिकी मुद्रा तीन महीने के उच्च स्तर पर बनी हुई है.
इस बीच, अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड ऑयल 0.31% बढ़कर $64.97 प्रति बैरल तक पहुंच गया, जो भारत जैसे आयातक देशों के लिए एक और दबाव बनाता है.
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घरेलू बाजार भी कमजोर मूड में
भारतीय शेयर बाजारों में भी गिरावट का असर दिखा. BSE सेंसेक्स शुरुआती कारोबार में 258 अंक टूटकर 83,679.88 पर पहुंचा, जबकि NSE निफ्टी 47 अंक गिरकर 25,674.15 पर आ गया.
विदेशी संस्थागत निवेशकों (FIIs) ने शुक्रवार को ₹6,769 करोड़ मूल्य के शेयरों की बिकवाली की, जिससे कैपिटल फ्लो पर सीधा असर पड़ा और रुपया और कमजोर हुआ.
RBI का डेटा और फॉरेक्स रिजर्व में गिरावट (Indian Rupee vs US Dollar)
भारतीय रिजर्व बैंक के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, 24 अक्टूबर को समाप्त सप्ताह में देश का विदेशी मुद्रा भंडार $6.92 अरब घटकर $695.35 अरब डॉलर पर आ गया. एक हफ्ते पहले यह भंडार बढ़कर $702.28 अरब डॉलर तक पहुंचा था.
यह कमी बताती है कि RBI ने रुपये को स्थिर रखने के लिए संभावित रूप से डॉलर बेचने का इस्तेमाल किया है.
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डॉलर तीन महीने के टॉप पर, बाकी करेंसी पर दबाव
अमेरिकी डॉलर इस वक्त लगभग तीन महीने के शिखर पर है. निवेशक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के आंकड़ों का इंतजार कर रहे हैं ताकि यह समझा जा सके कि क्या फेडरल रिजर्व अपने कड़े ब्याज दर रुख को थोड़ा ढीला करेगा या नहीं.
येन साढ़े आठ महीने के निचले स्तर पर है, वहीं यूरो $1.1527 पर ट्रेड कर रहा है, जो तीन महीने के न्यूनतम स्तर पर है. ब्रिटिश पाउंड (स्टर्लिंग) भी 0.26% गिरकर $1.3136 पर आ गया है, क्योंकि बैंक ऑफ इंग्लैंड की बैठक से किसी बदलाव की उम्मीद नहीं है.
आगे क्या? विशेषज्ञों की राय (Indian Rupee vs US Dollar)
फॉरेक्स एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर कच्चे तेल की कीमतें और विदेशी निवेशक आउटफ्लो जारी रहे, तो आने वाले दिनों में रुपया 89 के स्तर को छू सकता है. हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर और RBI के संभावित हस्तक्षेप से रुपये को कुछ राहत मिल सकती है.
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