दिल्ली के तिहाड़ जेल(Tihad Jail) प्रशासन ने पिछले दस महीनों में कैदियों से 300 से अधिक मोबाइल फोन बरामद किए हैं। यह संख्या पिछले वर्ष की इसी अवधि में जब्त किए गए फोन की तुलना में लगभग दोगुनी है। अधिकारियों के अनुसार, जेल के भीतर अवैध वस्तुओं की तस्करी रोकने के लिए एक स्पेशल इंटेलिजेंस सेल बनाई गई थी, लेकिन इसके बावजूद मोबाइल फोन की संख्या में यह बढ़ोतरी सामने आई है।
अधिकारियों का कहना है कि कैदियों तक मोबाइल फोन पहुंचाने के लिए नए-नए तरीकों का इस्तेमाल किया जा रहा है। जेल परिसर की दीवारों के ऊपर से फोन फेंककर भेजने, बाहर से आने वाले सामान में छुपाकर डालने, और यहां तक कि कर्मचारियों की मिलीभगत की भी आशंका जताई जा रही है। मामले की जांच जारी है।
अधिकारियों के अनुसार, 2023 की तुलना में इस साल तिहाड़ में मोबाइल फोन बरामद होने के मामलों में कमी आई है। 2023 में जनवरी से अक्टूबर के बीच जेल परिसर से 500 से अधिक मोबाइल फोन जब्त किए गए थे। जबकि 2024 में इसी अवधि के दौरान, इंटेलिजेंस सेल द्वारा लगातार की गई तलाशी और निगरानी के कारण यह संख्या घटकर लगभग 150 से 200 के बीच रह गई है। वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि यह कार्रवाई जेल के अंदर अवैध गतिविधियों पर नियंत्रण की दिशा में एक महत्वपूर्ण सुधार है।
एक वरिष्ठ जेल अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि तिहाड़ में गठित इस विशेष खुफिया इकाई (इंटेलिजेंस सेल) का नेतृत्व एक अधीक्षक-स्तर का अधिकारी कर रहा है। इस सेल में जेल कर्मचारियों के साथ-साथ CRPF और ITBP के जवान भी शामिल हैं, जो हर हफ्ते अलग-अलग बैरकों और परिसर में तलाशी अभियान चलाते हैं।
अधिकारी के अनुसार, इस वर्ष मोबाइल फोन जब्त होने की संख्या में बढ़ोतरी की एक बड़ी वजह स्मगलिंग के तरीकों में लगातार हो रहा बदलाव है। उन्होंने बताया, “गैंगस्टर पकड़े जाने से बचने के लिए नए तरीके अपना रहे हैं। साथ ही, अब बाहरी गिरोहों को भी इस विशेष सेल की जानकारी हो चुकी है।” अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि इंटेलिजेंस सेल के दो कर्मचारियों को गैंगस्टरों द्वारा धमकियां दी गई हैं। इस संबंध में शिकायतें जेल के महानिदेशक (DG Prisons) को भेजी गई हैं और मामला संज्ञान में है।
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, इस वर्ष जब्त किए गए मोबाइल फोनों में से सबसे अधिक बरामदगी जेल नंबर-13 से हुई है। यह वह हाई-सिक्योरिटी बैरक है, जहां नंदू गैंग, छेनू गैंग और बिश्नोई गिरोह से जुड़े कुख्यात और गैंगवार में शामिल आरोपी कैदी रखे जाते हैं। ये गिरोह जेल के अंदर भी आपसी रंजिश और हिंसक टकराव के लिए बदनाम हैं।
तिहाड़ में इंटेलिजेंस सेल का गठन इस साल की शुरुआत में किया गया था। इसका उद्देश्य जेल परिसर के भीतर मोबाइल फोन, ड्रग्स और अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी और वितरण नेटवर्क को गुप्त रूप से चिन्हित और नियंत्रित करना है। सेल लगातार बैरकों, गैलरियों और मुलाक़ात क्षेत्रों में निगरानी और अचानक तलाशी अभियान चलाती है, ताकि इन गतिविधियों को जड़ से समाप्त किया जा सके।
एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मोबाइल फोन छिपाने को लेकर कैदियों ने अत्यंत चालाक और नए तरीके अपनाने शुरू कर दिए हैं। अधिकारी ने कहा, “कैदी अपने वकीलों या परिवार के सदस्यों के जरिए चीन में बने ‘केछाओडा’ मिनी मोबाइल फोन मंगवाते हैं। ये फोन अंगूठे के आकार के होते हैं और इन्हें शरीर के किसी भी आंतरिक हिस्से में आसानी से छिपाया जा सकता है।”
अधिकारी ने यह भी बताया कि कई मामलों में कैदी आपस में मिलीभगत कर असली फोन को साबुन से बने नकली फोन से बदल देते हैं। उन्होंने कहा, “जब हमें पक्की सूचना के आधार पर तलाशी लेनी होती है, तो कई बार कैदी असली फोन को फेंक देते हैं और साबुन से बने नकली फोन हमें पकड़ा देते हैं। इसलिए छापेमारी के दौरान वास्तविक बरामदगी सुनिश्चित करना और भी चुनौतीपूर्ण हो गया है।”
पुलिस ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद हर मामले में कैदियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। यदि किसी जेल कर्मचारी की संलिप्तता पाई जाती है, तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के अनुसार, जांच के नतीजों के आधार पर आवश्यक मामलों में FIR दर्ज की जाएगी।
पिछले महीने दीपावली के दौरान जेल नंबर 14 में गैंगस्टर दीपक ‘बॉक्सर’ को मोबाइल फोन के साथ पकड़ा गया था। बॉक्सर को 2023 में FBI ने मेक्सिको से गिरफ्तार कर भारत भेजा था। वह उन कई कैदियों में शामिल था जो अत्यंत छोटे केछाओडा फोन का इस्तेमाल करते पाए गए। अधिकारियों ने बताया कि जैमर लगे होने के बावजूद ये कॉम्पैक्ट डिवाइस कम सिग्नल वाले क्षेत्रों में भी काम कर लेते हैं। इसके अलावा, जेल प्रशासन ने जेल नंबर 3 और 4 से हाथ से बने चाकू, लाठी और अन्य धारदार हथियार भी बरामद किए हैं।
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