राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में डेंगू और मलेरिया जैसी मौसमी बीमारियों का खतरा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली नगर निगम (MCD) की ताज़ा साप्ताहिक रिपोर्ट के अनुसार, डेंगू से अब तक दो लोगों की मौत हो चुकी है। MCD ने 4 नवंबर को जारी रिपोर्ट में पुष्टि की कि साल 2025 में दिल्ली में डेंगू के कुल 1,136 मामले सामने आए हैं। स्वास्थ्य विभाग ने इसे तेज़ी से बढ़ती संक्रमण दर के रूप में देखा है।

दिल्ली में डेंगू के मामलों में सितंबर और अक्टूबर के दौरान तेज़ बढ़ोतरी देखी गई है। MCD की रिपोर्ट के अनुसार, सितंबर में 208 और अक्टूबर (25 अक्टूबर तक) में 307 नए मामले दर्ज किए गए हैं। सिर्फ पिछले एक सप्ताह में ही 72 मरीज सामने आए हैं। इसी के साथ राजधानी में मलेरिया और चिकनगुनिया के मामले भी बढ़ रहे हैं। बीमारियों के बढ़ते मामलों को लेकर आप नेता अंकुश नारंग ने दिल्ली की बीजेपी सरकार की आलोचना की। नारंग ने आरोप लगाया कि सफाई और फॉगिंग अभियान कमजोर पड़ गया है, जलभराव और गंदगी पर समय पर कार्रवाई नहीं हो रही, अस्पतालों पर मरीजों का दबाव बढ़ रहा है. उन्होंने कहा कि अगर स्थिति को तुरंत नियंत्रित नहीं किया गया तो हालात और बिगड़ सकते हैं।

आप नेता अंकुश नारंग ने एमसीडी की साप्ताहिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि दिल्ली में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया के बढ़ते मामलों से यह साफ है कि बीजेपी को दिल्लीवासियों की सेहत की चिंता नहीं है। उन्होंने आरोप लगाया कि समय रहते रोकथाम नहीं किए जाने के कारण मलेरिया के केस पांच साल के रिकॉर्ड स्तर तक पहुँच गए हैं।

नारंग ने कहा कि जिस तरह AAP सरकार ने पहले व्यापक जागरूकता अभियान चलाकर इन बीमारियों पर नियंत्रण किया था, उसी तरह की पहल बीजेपी की एमसीडी सरकार की तरफ से अब नहीं दिख रही। उन्होंने कहा फॉगिंग और सफाई अभियान सुस्त पड़ गया है, जलभराव की समस्या पर समय पर कार्रवाई नहीं हो रही, इससे मौसमी बीमारियों का प्रसार तेज़ हो गया है. नारंग का आरोप है कि बीजेपी के कार्यभार संभालने के बाद इन बीमारियों की रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, जिसके चलते मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।

नारंग ने कहा कि जब अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री थे, तब राजधानी में ‘हर रविवार सुबह 10 बजे, 10 मिनट’ का जागरूकता अभियान चलाया जाता था। इस अभियान का उद्देश्य लोगों को डेंगू, मलेरिया और चिकनगुनिया से बचाव के तरीकों के बारे में जानकारी देना था।

उन्होंने बताया कि उस दौरान लोग अपने घरों, बालकनियों और छतों में जमा पानी की नियमित जांच करते थे, जिससे मच्छरों के प्रजनन को रोका जा सकता था। नारंग के अनुसार, जागरूकता और भागीदारी के कारण उस समय इन बीमारियों पर काफी हद तक नियंत्रण बना रहा था। लेकिन बीजेपी सरकार के आने के बाद यह अभियान बंद हो गया, जिसके चलते अब लोग सतर्क नहीं हो पा रहे और बीमारियों के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।

अंकुश नारंग ने कहा कि आम आदमी पार्टी जून से लगातार मांग कर रही है कि मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया की साप्ताहिक रिपोर्टों को सार्वजनिक किया जाए। उनका कहना है कि अगर ये बीमारियां महामारी के स्तर पर बढ़ रही हैं, तो रिपोर्ट रोजाना जारी की जानी चाहिए, ताकि स्थिति पर पारदर्शिता बनी रहे। लेकिन उनके आरोप के अनुसार, MCD इस पर गंभीरता नहीं दिखा रही और नियंत्रण के लिए कोई ठोस रणनीति लागू नहीं कर रही है।

नारंग ने कहा कि जनता को जागरूक किए बिना इन बीमारियों पर काबू पाना संभव नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब तक लोग अपने घरों की छत, पानी की टंकियों, कूलरों, टायरों और ऐसे स्थानों की नियमित जांच नहीं करेंगे, तब तक मच्छरों के लार्वा को खत्म नहीं किया जा सकता। उन्होंने दवा के छिड़काव (फॉगिंग और एंटी-लार्वा ट्रीटमेंट) की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि सरकार और जनता दोनों की भागीदारी जरूरी है। नारंग के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में मलेरिया के मामले पिछले पाँच वर्षों की तुलना में सबसे अधिक दर्ज हुए हैं, और इस मौसम में डेंगू, चिकनगुनिया और मलेरिया तीनों बीमारियाँ तेजी से बढ़ रही हैं।

लक्षण और बचाव

डेंगू एक वायरल संक्रमण है, जो डेंगू वायरस के कारण होता है और यह संक्रमित एडीज मच्छर (Aedes mosquito) के काटने से फैलता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, डेंगू के मामले अधिकतर शहरी और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में देखे जाते हैं। इसकी रोकथाम मुख्य रूप से मच्छरों की संख्या और उनके प्रजनन स्थलों को नियंत्रित करने पर निर्भर करती है। डेंगू का कोई विशिष्ट दवा या वैक्सीन नहीं है, लेकिन बीमारी की समय पर पहचान और सही उपचार से गंभीर डेंगू और उससे होने वाली मृत्यु के जोखिम को काफी हद तक कम किया जा सकता है।

डॉक्टरों ने बुखार से पीड़ित सभी मरीजों से अपील की है कि वे लक्षण दिखते ही अस्पताल जाकर डेंगू की जांच कराएं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आती है, तो मरीज को तुरंत चिकित्सकीय सलाह और उपचार लेना चाहिए। डेंगू की समय पर पहचान, निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार इलाज और मच्छरों के प्रजनन स्थलों को खत्म करने के लिए प्रभावी वेक्टर नियंत्रण उपाय बेहद जरूरी हैं। इससे बीमारी की गंभीरता और जटिलताओं का खतरा काफी हद तक कम किया जा सकता है।

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