भुवनेश्वर। ओडिशा के भद्रक ज़िले में पोलियो अभियान के दौरान एक दर्दनाक घटना सामने आई है। बासुदेवपुर प्रखंड के नंदापटना गाँव के एक आँगनवाड़ी केंद्र में पोलियो की दवा पिलाने के बाद तीन महीने के एक शिशु की मौत हो गई। परिवार ने इस मामले में गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है।
जानकारी के मुताबिक, नंदापटना के निवासी राजाराम जाना ने अपने तीन महीने के बेटे को सोमवार को गाँव के आँगनवाड़ी केंद्र में पोलियो की खुराक दिलाई थी। शाम तक बच्चा सामान्य था, लेकिन रात होते-होते उसे तेज बुखार आ गया। परिजन ने इसे सामान्य प्रतिक्रिया समझकर बच्चे को सुला दिया, लेकिन सुबह जब उठाया गया तो वह अचेत अवस्था में था।
घबराए परिजनों ने तुरंत बच्चे को बासुदेवपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (CHC) पहुँचाया, जहाँ डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
परिवार ने बाद में नायकनिडीही पुलिस थाने में लिखित शिकायत दर्ज कराते हुए आरोप लगाया कि पोलियो की दवा देने में लापरवाही बरती गई, जिसके कारण बच्चे की मौत हुई।
हालाँकि, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने अभी तक टीके और बच्चे की मौत के बीच किसी प्रत्यक्ष संबंध की पुष्टि नहीं की है। जिला चिकित्सा अधिकारी (CDMO) कार्यालय ने मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। एक वरिष्ठ स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा, “नमूनों को परीक्षण के लिए भेजा जाएगा। फिलहाल यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि मौत टीके से हुई है या किसी अन्य कारण से।”
इस घटना से गाँव में दहशत और भ्रम का माहौल है। कई ग्रामीणों ने आगामी टीकाकरण अभियानों को लेकर चिंता व्यक्त की है और स्वास्थ्य विभाग से पूरी पारदर्शिता और जवाबदेही की मांग की है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि पोलियो वैक्सीन विश्व स्तर पर सुरक्षित और प्रभावी मानी जाती है, जिसने लाखों बच्चों की जान बचाई है। हालांकि, वे यह भी स्वीकार करते हैं कि कुछ मामलों में दुर्लभ प्रतिकूल प्रतिक्रियाएँ हो सकती हैं। विशेषज्ञों ने माता-पिता से अपील की है कि टीकाकरण के बाद बच्चे के स्वास्थ्य पर करीबी निगरानी रखें और किसी भी असामान्य लक्षण की स्थिति में तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
इस घटना के बाद जिला प्रशासन ने कहा है कि जांच पूरी होने तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुँचना चाहिए, ताकि गलत सूचनाओं से लोगों के मन में टीकाकरण को लेकर डर न फैले।
फिलहाल शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया गया है और रिपोर्ट का इंतजार है। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि शिशु की मौत का वास्तविक कारण क्या था।
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