हरिश्चंद्र शर्मा, ओंकारेश्वर। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर का उत्सव संपूर्ण निमाड़, मालवा और देशभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था, संस्कृति और पवित्रता का संगम बना। कार्तिक पूर्णिमा (5 नवम्बर 2025) को ओंकारेश्वर में पवित्र स्नान, पूजन एवं दर्शन के लिए हजारों श्रद्धालु पहुंचे ब्रह्ममुहूर्त से ही नर्मदा नदी के घाटों पर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा। सभी ने परिवार सहित स्नान किया और शिवलिंग के दर्शन किए। इस अवसर पर पांच दिवसीय पंचकोशी नर्मदा यात्रा का समापन हुआ, जिसमें मालवा-निमाड़ व देशभर के तीर्थयात्री सहभागी बने।

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इस यात्रा के रास्ते में विभिन्न शिव मंदिरों, आरती-भजन तथा सेवा-भंडारे का आयोजन हुआ, ओंकारेश्वर के घाटों और मंदिर परिसर में कार्तिक मेले की रौनक परंपरागत लोकनृत्य, भजन, पूजा-मंडप और दीपों की पंक्तियों से भरी रही। प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुविधा एवं सुरक्षा के लिए घाटों, मंदिर व यात्रा मार्गों पर विशेष व्यवस्थाएं कीं. 

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पंचकोशी यात्रा व ओंकारेश्वर मेले में आदिवासी समाज के लोग, धार, धामनोद, बड़वानी, झाबुआ, खंडवा, मालवा और नर्मदा घाटी क्षेत्रों से श्रद्धालु परिवार सहित पहुंचे, जिससे क्षेत्रीय संस्कृति का सुंदर प्रदर्शन हुआ।   

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