कोटा। कोटा जिले के 8 लेन मार्ग पर भारी वाहनों के अंधाधुंध आवागमन से पांच गांवों के हजारों ग्रामीणों का जीवन दूभर हो गया है. भटवाड़ा, अमझार, ढाणी, झांमरा और नयागांव के निवासियों ने जिला प्रशासन को अंतिम चेतावनी जारी की है कि यदि तीन दिनों के भीतर इन वाहनों को गांवों के बीच से डायवर्ट नहीं किया गया, तो वे सड़क जाम, धरना-प्रदर्शन और आंदोलन के लिए बाध्य होंगे. ग्रामीणों का कहना है कि तेज रफ्तार ट्रकों और ट्रेलरों से उनकी जान पर बन आई है, जबकि धूल भरी हवा से सांस लेना तक मुश्किल हो गया हैं.

 ग्रामीणों ने बताया कि भारी वाहनों के कारण आए दिन मवेशी हादसों का शिकार हो रहे हैं, जिससे समुदाय में आक्रोश चरम पर है. पूर्व में इन वाहनों का रूट गांवों से बाहर से निर्धारित था, लेकिन अब वे सीधे आबादी वाले इलाकों से गुजर रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा कई गुना बढ़ गया है. “हर पल हादसे का डर लगा रहता है. बच्चे स्कूल जाते समय, महिलाएं बाजार जातीं तो सड़क पार करना जोखिम भरा हो गया है,” एक ग्रामीण ने शिकायत की. धूल गुबार से फसलें प्रभावित हो रही हैं और स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही है.

इस संकट से जूझते ग्रामीणों ने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है. उन्होंने मांग की है कि भारी वाहनों को गांव के बाहर वैकल्पिक मार्ग से डायवर्ट किया जाए और गांवों के अंदर प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए. इस मुद्दे पर राजाराम चौधरी, रघुनंदन, बाबूलाल रायका, जगदीश रायका, लक्ष्मण, राजेन्द्र जाट, देवकरण प्रजापत और भोजराज मीणा सहित ग्रामीण प्रतिनिधियों ने नायब तहसीलदार विशाल वर्मा को जिला कलेक्टर के नाम ज्ञापन सौंपा.

 जिला प्रशासन ने अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के अनुसार, ट्रैफिक पुलिस और लोक निर्माण विभाग को निर्देश दिए गए हैं. ग्रामीणों का आंदोलन यदि हुआ, तो यह क्षेत्रीय ट्रांसपोर्ट को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि वैकल्पिक रूट विकसित करने और साइनेज लगाने से समस्या का समाधान संभव है. फिलहाल, ग्रामीण तीन दिनों का इंतजार करेंगे, लेकिन उनका धैर्य अब सीमा पर हैं.