कर्ण मिश्रा, ग्वालियर। मध्यप्रदेश के ग्वालियर से एक बड़ी खबर सामने आई है। जहां धर्मांतरण की सूचना के बाद पुलिस प्रशासन में हड़कंप मच गया। बिशप हाउस में जबरन आदिवासी बच्चों के धर्मांतरण और उन्हें धर्मगुरु बनाने की ट्रेनिंग की सूचना के बाद जांच एजेंसियां एक्टिव हुई है। हालांकि चर्च के फादर ने सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उन्होंने पुलिस प्रशासन और जांच एजेंसियों की ओर से छात्रों से जुड़ी मांगी गई जरूरी जानकारी और रिकॉर्ड देने की भी बात कही है।

धर्मगुरु बनाने की ट्रेनिंग

दरअसल, ग्वालियर के बड़ागांव हाइवे के पास ग्वालियर कैथोलिक डाइसेसिक सोसायटी चर्च, सेंट जोसेफ स्कूल और हॉस्पिटल संचालित कर रही है। पुलिस प्रशासन को सूचना मिली थी कि चर्च के फादर की निगरानी में बिशप हाउस के अंदर छात्रों को धर्मगुरु बनाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। ये सभी छात्र उड़ीसा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के रहने वाले है। जिनमें काफी आदिवासी बताए गए। इन्हें स्कूली शिक्षा के साथ धर्म गुरु बनने की ट्रेनिंग दी जा रही है।

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MP-CG और उड़ीसा के छात्र

यह सूचना जैसे ही पुलिस प्रशासन तक पहुंची, वह एक्टिव मोड़ में आई और विशप हाउस पहुंची। जहां बच्चों से जुड़े सभी रिकॉर्ड खंगालने के साथ चर्च प्रबंधन से फंडिंग, लैंड रिकॉर्ड समेत जरूरी विषयों पर चर्चा की गई। साथ ही दस्तावेज कलेक्ट किये गए। जानकारी सामने आई है कि पढ़ने वाले छात्रों में 18 उड़ीसा, मध्यप्रदेश के 03 (झाबुआ के 02, मोहना का 01) और छत्तीसगढ़ के 02 छात्रों से जांच अधिकारियों ने चर्चा करते हुए जानकारी जुटाई है।

फादर ने कही ये बात

सेंट जोसेफ सेमिनरी में रेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहे फादर हर्षल ए. एक्स ने बताया कि धर्मांतरण से जुड़ा कोई मुद्दा नहीं है। सभी छात्रों के माता पिता और दादा भी ईसाई धर्म के है। सभी जरूरी रिकॉर्ड भी जांच टीम को सौंप दिया गया है। सभी छात्र परिजनों के सहमति पत्र के बाद यहां शिक्षा हासिल कर रहे है।

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SDOP बोले- ठोस सबूत नहीं

जांच टीम में शामिल एसडीओपी मनीष यादव ने बताया है कि शुरुआती जांच में धर्मांतरण से जुड़े कोई ठोस सबूत नहीं मिले है। सभी छात्रों ने स्वेच्छा से पढ़ाई करने की जानकारी दी है। सभी ईसाई धर्म से है। किसी भी प्रकार के दबाव की भी पुष्टि नहीं हुई है। कास्ट सर्टिफिकेट से जुड़े रिकॉर्ड मांगे है, जो प्रबंधन जल्द सबमिट कर देगा। बहरहाल जांच जारी है और यदि कोई कमी या खामी समेत धर्मांतरण से जुड़े सबूत मिलते है। तो मध्यप्रदेश धार्मिक स्वतंत्रता अधिनियम 2021 के तहत कार्रवाई की जाएगी।

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