नई दिल्ली। राजस्थान सरकार द्वारा पारित ‘राजस्थान धर्म के गैर-कानूनी रूपांतरण पर रोक अधिनियम, 2025’ को लेकर अब सुप्रीम कोर्ट में कानूनी जंग शुरू हो गई है. इस कानून की कुछ धाराओं को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की गई है. याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मंगलवार को राजस्थान सरकार को नोटिस जारी किया है.

यह याचिका एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स (APCR) के समर्थन से मानवाधिकार कार्यकर्ता जॉन दयाल और अधिवक्ता एम. हुजैफा द्वारा दायर की गई है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की बेंच ने इस मामले को गंभीर मानते हुए राज्य सरकार से जवाब मांगा है. साथ ही कोर्ट ने कानून पर अंतरिम रोक (Interim Stay) की मांग वाली याचिका पर भी नोटिस जारी किया है.
विवादित प्रावधानों पर सवाल
याचिका में अधिनियम की धारा 5(6), 10(3), 12 और 13 को असंवैधानिक बताया गया है. याचिकाकर्ताओं का कहना है कि ये प्रावधान प्रशासनिक अधिकारियों को ऐसे अधिकार देते हैं, जिनसे वे बिना किसी न्यायिक आदेश के संपत्ति जब्त या ध्वस्त कर सकते हैं. याचिकाकर्ताओं के अनुसार, यह न केवल न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप है, बल्कि न्यायिक निर्धारण के बिना सजा देने की अनुमति देता है.
संविधान के अनुच्छेदों का उल्लंघन का आरोप
याचिका में तर्क दिया गया है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार), 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता), 22 (गिरफ्तारी से सुरक्षा) और 300A (संपत्ति का अधिकार) का उल्लंघन करता है. इसके तहत जिला मजिस्ट्रेट या राजपत्रित अधिकारी को “संक्षिप्त जांच” (Summary Inquiry) कर संपत्ति जब्त करने या ध्वस्त करने का अधिकार दिया गया है, जो न्यायिक अधिकारों के दायरे से बाहर है.
‘सामूहिक दंड’ पर भी उठे सवाल
याचिका में धारा 5(6) को लेकर कहा गया है कि यह निर्दोष संपत्ति मालिकों को भी दंडित करने का प्रावधान बनाती है, जिससे “सामूहिक सजा” और “पूर्ण प्रतिनिधिक जिम्मेदारी” (Absolute Vicarious Liability) को वैधता मिलती है. याचिकाकर्ताओं का दावा है कि यह न्याय के बुनियादी सिद्धांतों और सुप्रीम कोर्ट के 2024 के फैसले की भावना के विपरीत है, जिसमें बिना न्यायिक निर्धारण के किसी संपत्ति को जब्त या ध्वस्त करने की अनुमति नहीं दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है. मामले की अगली सुनवाई अगली तारीख पर निर्धारित की जाएगी.
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