नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के बाद एक बार फिर से पत्रकारों की सुरक्षा को लेकर सवाल उठने लगे हैं. ईमानदारी से और मुखर होकर कार्य करने वाले पत्रकारों के साथ आए दिन तरह-तरह की घटनाएं सामने आ रही हैं. कहीं पत्रकारों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज किए जा रहे हैं तो कहीं सीधे उनकी हत्या ही कर दी जा रही है.
पिछले कुछ सालों में दर्जन भर से ज्यादा पत्रकारों की बेरहमी से हत्या कर दी गई. जब वे व्यवस्था के खिलाफ लिख रहे थे या फिर भ्रष्टाचार या बड़े स्कैण्डल की तहकीकात में लगे हुए थे. कहने को तो लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है पत्रकारिता लेकिन सच यह है कि इस पेशे से जुड़े लोगों का जीवन खतरे में है. आइए हाल के उन 12 वारदातों पर नजर डालें जिसमें पत्रकार की हत्या कर दी गई.
इन पत्रकारों की बेरहमी से की गई हत्या
- 13 मई 2016 को सीवान में हिंदी दैनिक हिन्दुस्तान के पत्रकार राजदेव रंजन की गोली मारकर हत्या कर दी गई. ऑफिस से लौट रहे राजदेव को नजदीक से गोली मारी गई थी. इस मामले की जांच सीबीआई कर रही है.
- मई 2015 में मध्य प्रदेश में व्यापम घोटाले की कवरेज करने गए आजतक के विशेष संवाददाता अक्षय सिंह की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. अक्षय सिंह की झाबुआ के पास मेघनगर में मौत हुई. मौत के कारणों का अभी तक पता नहीं चल पाया है.
- जून 2015 में मध्य प्रदेश में बालाघाट जिले में अपहृत पत्रकार संदीप कोठारी को जिंदा जला दिया गया. महाराष्ट्र में वर्धा के करीब स्थित एक खेत में उनका शव पाया गया.
- साल 2015 में ही उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में पत्रकार जगेंद्र सिंह को जिंदा जला दिया गया. आरोप है कि जगेंद्र सिंह ने फेसबुक पर उत्तर प्रदेश के पिछड़ा वर्ग कल्याण मंत्री राममूर्ति वर्मा के खिलाफ खबरें लिखी थीं.
- साल 2013 में मुजफ्फरनगर दंगों के दौरान नेटवर्क18 के पत्रकार राजेश वर्मा की गोली लगने से मौत हो गई.
- आंध्रप्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार एमवीएन शंकर की 26 नवंबर 2014 को हत्या कर दी गई. एमवीएन आंध्र में तेल माफिया के खिलाफ लगातार खबरें लिख रहे थे.
- 27 मई 2014 को ओडिसा के स्थानीय टीवी चैनल के लिए स्ट्रिंगर तरुण कुमार की बड़ी बेरहमी से हत्या कर दी गई. 35 वर्षीय तरुण कुमार जब अपने घर जा रहे थे, तभी कुछ लोगों ने उनपर धारदार हथियार से हमला कर दिया था. पुलिस ने जब आचार्य का शव बरामद किया, तो उनके सीने में चाकू के कई घाव थे और गला कटा हुआ था.
- हिंदी दैनिक देशबंधु के पत्रकार साई रेड्डी की छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बीजापुर जिले में संदिग्ध हथियारबंद लोगों ने हत्या कर दी थी.
- महाराष्ट्र के पत्रकार और लेखक नरेंद्र दाभोलकर की 20 अगस्त 2013 को मंदिर के सामने उन्हें बदमाशों ने गोलियों से भून डाला.
- रीवा में मीडिया राज के रिपोर्टर राजेश मिश्रा की 1 मार्च 2012 को कुछ लोगों ने हत्या कर दी थी. राजेश का कसूर सिर्फ इतना था कि वो लोकल स्कूल में हो रही धांधली की कवरेज कर रहे थे.
- मिड डे के मशहूर क्राइम रिपोर्टर ज्योतिर्मय डे की 11 जून 2011 को हत्या कर दी गई. वे अंडरवर्ल्ड से जुड़ी कई जानकारी जानते थे.
- डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम के खिलाख आवाज बुलंद करने वाले पत्रकार रामचंद्र छत्रपति की सिरसा में हत्या कर दी गई. 21 नवंबर 2002 को उनके दफ्तर में घुसकर कुछ लोगों ने उनको गोलियों से भून डाला.
- दैनिक भास्कर के पत्रकार सुशील पाठक की 19 दिसंबर 2010 की देर रात गोली मार के हत्या कर दी गई थी. वे कोल माफियाओं के खिलाफ खबरें लिखते थे. इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई थी. लेकिन सीबीआई के एडिशनल एसपी डीके राय व उनकी टीम इस मामले की जांच में आरोपियों को बचाने रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए थे. 2016 में सीबीआई ने इस मामले में अपनी क्लोजर रिपोर्ट सौंप दी थी.
- छत्तीसगढ़ के गरियाबंद जिले के पत्रकार उमेश राजपूत की 23 जनवरी 2011 को उनके घर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
- छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले के पत्रकार नेमीचंद जैन की नक्सलियों ने 13 फरवरी 2013 को लेदा गांव में हत्या कर दी थी.